प्रयागराज के फूलपुर की जिस दलित नाबालिग लड़की को 3 हजार किलोमीटर दूर केरला में 49 दिन रखा गया। पुलिस उसको सुरक्षित वापस लेकर आ गई है। सोमवार को फूलपुर थाने में ATS ने उससे 5 घंटे तक पूछताछ की। साथ में जिस मुस्लिम लड़की और लड़के पर उसे केरल लेकर जाने का आरोप है। उनसे भी सवाल-जवाब हुए। एजेंसी जानना चाहती थी कि किस इस्लामिक संगठन ने लड़की को ट्रेनिंग दी। उसको कहां-कहां रखा गया? किस टॉस्क के लिए तैयार किया जा रहा था? ट्रेनिंग सेंटर से भागने वाली लड़की ने बताया- मेरी जैसी वहां और लड़कियां और बच्चे थे। सबको उर्दू-फारसी सिखाते थे। हिंदुस्तान के खिलाफ भड़काने वाली बातें होती थीं। कहते थे- मुस्लिमों पर जुल्म हो रहा। तुम्हें बदला लेना होगा। हमें मैप देखना बताते थे। मुझे मुस्लिमों की तरह रहना और नमाज अदा करना सीखा रहे थे, फिर मैं वहां से भागने में कामयाब हो गई। दैनिक भास्कर टीम 40 किमी दूर फूलपुर के एक गांव पहुंची। यहां लड़की के घरवालों से बातचीत की। पढ़िए रिपोर्ट पीड़ित लड़की के पिता का निधन 10 साल पहले हुआ, मां मनरेगा मजदूर गांव में दाखिल होते ही हमें एक पुलिस जीप दिख गई। उसके सामने एक टूटा हुआ घर था। जो करीब 75 वर्ग गज में बना है। दीवारों पर प्लास्टर भी नहीं था। यही घर मुस्कान (बदला हुआ नाम) का है, जिसे जॉब और अच्छे पैसे का लालच देकर केरल ले जाया गया। गांव के लोगों से पता चला कि लड़की जब से वापस आई, पुलिस वाले लगातार पूछताछ कर रहे।यहां हमारी मुलाकात मुस्कान के चाचा से हुई। हमने पूछा- परिवार में कौन-कौन है? उन्होंने कहा- मेरे भाई की 10 साल पहले बीमारी से मौत हो चुकी है। उनकी पत्नी मनरेगा मजदूर है। बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है, मुस्कान और उसकी छोटी बहन इस घर में रहते हैं। हमने पूछा- बेटी केरल कैसे पहुंची? उन्होंने कहा- ये सब उस दिलकशा (बदला हुआ नाम) की वजह से हुआ। मुस्कान और दिलकशा क्लास-3 से आठवीं तक साथ पढ़े हैं। यही 100 मीटर पर उसका भी घर हैं, मगर इस वक्त उसके परिवार के लोग भागे हुए हैं। वो हमारी बेटी को लेकर महंगे-महंगे रेस्टोरेंट और होटल में जाती थी, वहां ये लोग क्या मौज मस्ती करते थे, ये तो नहीं पता, लेकिन मुस्कान का पूरा ब्रेनवॉश हो चुका था। उसके लिए दिलकशा ही सब कुछ हो गई थी। उसके अचानक लापता होने से 1 महीने पहले मैंने प्रयागराज के एक महंगे रेस्टोरेंट से निकलते हुए देखा, हमारी तो इतनी हैसियत भी नहीं कि उसके अंदर जा सके। उसके घर आने पर डांटा, तो वह दिलकशा का नाम लेकर मुझसे ही लड़ने लगी। उसके बाद से हमने मुस्कान को घर के बाहर जाने पर रोक लगा दी। फिर वो लापता कैसे हुई? मुस्कान की चाची ने बताया- 8 मई को गांव के कोटेदार के घर में शादी थी। सबको न्योता आया हुआ था। मुस्कान भी वहीं गई थी, मगर न तो कोटेदार के घर में वो दिखी, न ही बाद में उसका कुछ पता चला। हम लोगों ने बहुत ढूंढा था। मुस्कान कहां गई थी? चाचा ने कहा- जब 49 दिन बाद वो केरल में मिली। तब सबकी जान में जान आई। वो जिस रात लौटी, हम लोगों में कोई सोया नहीं। सब उसकी कहानी सुनते रहे। मुस्कान ने कहा- 8 मई को वो दिलकशा के साथ होटल गई मुस्कान ने बताया- 8 मई को वह कोटेदार के घर नहीं गई, सीधे दिलकशा के साथ प्रयागराज गई। यहां उसका एक दोस्त कैफ पहले से मौजूद था। वो फूलपुर कस्बे का रहने वाला है। यहां होटल के एक कमरे में हम लोग दो घंटे रहे। खाना खाया। इसके बाद दिलकशा ने मुझसे कहा- कैफ को किस करो, ये तुम्हारा पहला एग्जाम है…पास किया, तभी केरल जा सकोगी, जहां तुम्हारी नौकरी लगेगी। मैंने मना कर दिया। इसके बाद दिलकशा ने मेरे सामने कैफ को किस किया। मुझे मजबूर किया कि मैं भी ऐसा करूं। मुस्कान ने कैफ को किस किया। कैफ ने हमें दिल्ली की ट्रेन पर बैठाया मुस्कान ने कहा- होटल से निकलकर सब लोग एक कार में बैठ गए। कार कैफ ही चला रहा था। सब लोग प्रयागराज रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां से दिल्ली तक ट्रेन से जाने के लिए दो टिकट दिए गए। दिलकशा के साथ मैं 9 मई की सुबह दिल्ली पहुंची। यहां ताजउद्दीन नाम के शख्स ने हमें रिसीव किया और एक पुराने घर लेकर पहुंचा। वहां पहले से कुछ मुस्लिम लोग मौजूद था। हम 1 दिन इस मकान में रहे, वो पूरा एरिया मुस्लिम आबादी का था। फिर ताजउद्दीन ने अगले दिन हम दोनों को केरल जाने वाली ट्रेन में बैठा दिया। मगर हमें टिकट नहीं दिया। सिर्फ एक पर्ची दी, जिस पर एक मोबाइल नंबर लिखा था। कहा- केरल पहुंचकर इस नंबर पर कॉल कर लेना। टीटीई के आने पर हम लोग टॉयलेट के पास वाली जगह पर बैठे रहे। इस तरह से 2 दिन तक हमने सफर किया। कुछ पैसे थे, उसी से ट्रेन में आने वाला खाना खरीदकर खाते रहे। केरल में हमें एक हॉस्टल जैसे मकान में रखकर तालीम दी 12 मई को केरल पहुंचने पर हमने उस नंबर पर कॉल किया। एक शख्स हमें लेने आया। उसकी कार में बैठकर हम लोग 3 घंटे तक सफर करते रहे। हमें केरल के त्रिशूर जिले में ले जाया गया। वो एक पेड़ों से घिरी हुई जगह पर लेकर पहुंचा। यहां सिर्फ एक ही मकान था, जो हॉस्टल जैसा दिखता था। वहां पहले से कुछ बच्चे थे। जिन्हें तालीम देने के नाम पर रखा गया था। वहां पहुंचने के बाद मुझे कुछ कपड़े और हिजाब दिया गया। वहां मुस्लिम कल्चर में ही हमें रहने की ट्रेनिंग दी जाने लगी, रोज एक मौलाना हमें इस्लामिक कल्चर और किताबें पढ़ाते। यहां आने के बाद मेरे सामने दिलकशा का असली चेहरा आया। वो पहले भी कुछ लड़कियों को यहां जॉब दिलाने के बहाने ला चुकी थी। वो लोग बोले- तुम्हें अल्लाह के लिए बड़ा काम करना है…
केरल पहुंचने के 10वें दिन 4-5 लोग मुझसे एक कमरे में मिलने आए। उन्होंने मुझे बताया कि अगर तुम्हारी ट्रेनिंग ठीक से पूरी नहीं हुई तो तुम्हें किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जाएगा। तुम्हें अल्लाह की इबादत करनी है, बड़ा काम तुम्हारे हाथों से होगा। मुस्कान ने बताया कि वो लोग कभी ये नहीं कहते थे कि आखिर करना क्या है? मुझे उर्दू पढ़ना सिखाया जाने लगा। मैप को देखना, उसको समझने का तरीका बताया गया, जैसा सेना में किया जाता है। वो मुझे लंबे समय तक भूखा रहने और सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी दे रहे थे। मगर मुझे ये अंदाजा हो गया था कि वो लोग कुछ गलत करना चाहते हैं। उन लोगों ने मेरा धर्म परिवर्तन करवा दिया। मोबाइल मिला, तब मां लोकेशन दे सकी
फिर 14 मई को मुझे जिस छोटे कमरे में रखा जाता था। उसके बगल के कमरे में मुझे एक मोबाइल मिल गया। इससे मैंने फूलपुर में अपनी मां को काल किया। उन्हें अपनी लोकेशन दी, कहा कि दोबारा कॉल न करें, वरना ये लोग मुझे मार डालेंगे। इसके बाद मुस्कान की मां का रोल शुरू हुआ। 15 मई की सुबह वह फूलपुर थाने पहुंची। जिस नंबर से कॉल आया था, उसको पुलिस को सौंपा और मदद मांगी। मगर मामला इंटरस्टेट था, फूलपुर पुलिस ने जब कोई मदद नहीं की, तो परिवार के लोग SSP से मिले। इसके बाद उनके मामले में कार्रवाई शुरू हुई। ठिकाने से भागी, तो दिलकशा ने पीछा किया, दोनों को पुलिस ने पकड़ा
इस बीच 26 जून को मुस्कान केरल के इस ठिकाने से भागने में कामयाब हो गई। वो भागकर केरल के रेलवे स्टेशन तक पहुंची। दिलकशा भी मुस्कान का पीछा कर रही थी। स्टेशन पर पुलिस ने दो लड़कियों को आपस में झगड़ते देखा। उनके पास से कोई दस्तावेज नहीं मिला। टिकट भी नहीं था, ऐसे में उन्हें पकड़कर पहले थाने लाया गया। फिर बाल कल्याण समित (सीडब्ल्यूसी) के जज के सामने लाया गया। उन्होंने मुस्कान की पूरी कहानी सुनी। फिर प्रयागराज की सीडब्ल्यूसी को जानकारी भेजी। इसके बाद दो पुलिस वाले केरल पहुंचे और मुस्कान और दिलकशा को लेकर प्रयागराज आए। मुस्कान 28 जून की रात फूलपुर अपने घर पहुंची। इधर, प्रयागराज पुलिस ने कैफ को फूलपुर से अरेस्ट कर लिया। चूंकि मुस्कान और दिलकशा, दोनों की उम्र 18 साल से कम थी, इसलिए उन्हें बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश किया गया। अब उनसे सुरक्षा एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। गांव में रहने वाले इमरान कहते हैं- लिलहट गांव में 250 घर दलित परिवारों के हैं, वहीं 300 घर मुस्लिम परिवारों के होंगे। मुस्लिम लोग ज्यादातर फूलपुर कस्बे से यहां आकर बसे हैं। गरीबी के कारण, यहां लड़कियों को बरगलाना आसान है, वह जल्दी बहकावे में आ जाती हैं। बजरंग दल से जुड़े शांतनु बताते है- पिछली सरकारों में हर महीने 2-4 लड़कियां यहां से गायब हुआ करती थी। पुलिस गुमशुदगी का केस दर्ज करके रफादफा कर देती थी। पुलिस ने कहा- त्रिशूर की पुलिस हमारे संपर्क में
थाना प्रभारी सुनील कुमार कहते हैं- सोमवार को पीड़ित का पुलिस और कोर्ट में बयान कराया गया। मामले की तह तक जाने के लिए पुलिस अधिकारियों से निर्देश मिले हैं। 3 पुलिस टीम काम कर रही। केरल के त्रिशूर जनपद पुलिस से लगातार संपर्क बना हुआ है। सुरक्षा एजेंसियां भी अब इस मामले में जांच कर रही है। …………………
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