देश के 11 राज्यों में बीते 4 दिनों में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो गया है। इस तरह 36 में से 26 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया पूरी हो गई है। लेकिन, यूपी में पार्टी के नए मुखिया को लेकर इंतजार बरकरार है। दिल्ली में यूपी भाजपा अध्यक्ष को लेकर चल रहे मंथन के चलते दावेदारों की धड़कनें बढ़ने लगी हैं। भाजपा के जानकारों का मानना है, अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले यूपी में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हुआ, तो निर्विरोध ही निर्वाचन होगा। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के किसी भी नेता की बगावत करने की न तो हिम्मत है, न ही हैसियत है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में यूपी भाजपा के अध्यक्ष को लेकर मंथन चल रहा है। यूपी में 2026 में पंचायत चुनाव और 2027 में विधानसभा चुनाव होना है। लिहाजा आलाकमान प्रदेश अध्यक्ष की कमान ऐसे नेता को सौंपना चाहता है, जो योगी सरकार और आरएसएस के साथ सहयोगी दलों से भी बेहतर समन्वय बना सके। साथ ही पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम भी दे सके। काफी मशक्कत और मंथन के बाद भी अभी तक नाम तय नहीं हुआ है। दावेदारों की धड़कनें बढ़ीं
इस बीच, दावेदारों की धड़कनें बढ़ने लगी हैं। पिछड़ा वर्ग में पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है। धर्मपाल सिंह ने बीते दिनों पार्टी के केंद्रीय नेताओं से भी मुलाकात की थी। दूसरे नंबर पर जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह हैं। सीएम योगी और आरएसएस के क्षेत्रीय पदाधिकारी भी स्वतंत्र देव के पक्ष में हैं। वहीं, केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा भी प्रमुख दावेदार हैं। वर्मा को भाजपा के शीर्ष नेताओं का वरदहस्त प्राप्त है। राज्यसभा सांसद बाबूलाल निषाद भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आरएसएस और भाजपा के पदाधिकारियों से मिले हैं। दलित वर्ग में पूर्व केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया, पूर्व सांसद विनोद सोनकर और एमएलसी विद्यासागर सोनकर भी प्रयास कर रहे हैं। ब्राह्मण समाज से बस्ती के पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी, राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा, मथुरा के विधायक श्रीकांत शर्मा के नाम अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। कभी भी आ सकता है फरमान
यूपी भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए तैयारी पूरी कर रखी है। इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व कभी भी कार्यक्रम जारी कर सकता है। कार्यक्रम जारी होने के अगले दो-चार दिन में ही चुनाव हो जाएगा। भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष चुनाव प्रक्रिया इतनी जटिल है कि बगावत होना बहुत मुश्किल है। इसके लिए प्रदेश परिषद के 10 फीसदी सदस्यों का समर्थक और प्रस्तावक होना अनिवार्य है। 10 फीसदी सदस्य किसी भी बागी उम्मीदवार के लिए जुटाना संभव नहीं होता। लिहाजा अगर किसी ने नामांकन दाखिल किया भी तो उनका नामांकन निरस्त हो जाएगा। चुनाव की नौबत नहीं आएगी, निर्विरोध ही निर्वाचन होगा। चुनाव नहीं हुआ, तो सीधे घोषणा होगी
भाजपा के एक प्रदेश पदाधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के लिए कोरम पूरा हो गया है। 36 में से 26 प्रदेशों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अगर जल्द यूपी में प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए कार्यक्रम जारी नहीं किया, तो फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही यूपी में बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति होगी। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष यूपी में पार्टी के नए अध्यक्ष की सीधे घोषणा करेंगे। 12 साल बाद होगा चुनाव
यूपी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव 12 साल बाद होगा। इससे पहले 2013-14 में लक्ष्मीकांत बाजपेयी को चुनाव प्रक्रिया अपनाकर प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था। लक्ष्मीकांत बाजपेयी के बाद केशव प्रसाद मौर्य, महेंद्रनाथ पांडेय, स्वतंत्र देव सिंह और भूपेंद्र सिंह चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। इनका चुनाव नहीं हुआ था। ———————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में इस बार होगी अच्छी बारिश, जून में सामान्य से 11% ज्यादा बरसे बादल, जानिए जुलाई में कैसा रहेगा मानसून यूपी में मानसून की एंट्री 18 जून को हो चुकी है। जून में हर साल के मुकाबले इस बार 11% ज्यादा बारिश हो चुकी है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जुलाई में भी उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र को छोड़कर प्रदेश के अन्य भागों में सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। पढ़िए पूरी खबर…