गुरुग्राम के मानेसर नगर निगम में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। गुरुग्राम के एक आरटीआई एक्टिविस्ट की याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस आलोक जैन की बेंच ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है। गुरुग्राम के रहने वाले हरेंद्र ढींगरा द्वारा दायर याचिका में नगर निगम में दोनों पदों पर शीघ्र चुनाव कराने की मांग की गई। याचिका में कहा गया है कि मानेसर नगर निगम को हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 के तहत विधिवत गठित किया गया और 2 मार्च 2025 को हुए आम चुनावों में मेयर और पार्षदों का निर्वाचन हो चुका है। समय सीमा में नहीं भरे गए पद 12 मार्च 2025 को इसके नतीजे भी घोषित कर दिए गए हैं। इसके बाद 20 मार्च को राज्य चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर मेयर और पार्षदों की सूची सार्वजनिक की, लेकिन इसके बावजूद सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद अब तक खाली पड़े हैं। याचिकाकर्ता ने 2 जून को नगर निगम आयुक्त को एक पत्र देकर इस विषय पर कार्रवाई की मांग की थी, साथ ही आरटीआई दाखिल कर जानकारी मांगी थी। मेयर ने पत्र लिखकर चुनाव कराने की मांग की 16 जून को प्राप्त आरटीआई के जवाब में निगम ने स्वीकार किया कि इन दोनों पदों पर अब तक चुनाव नहीं हुए हैं. लेकिन देरी का कोई कारण नहीं बताया गया और न ही कोई समय सीमा दी गई। 10 जून को खुद मेयर डॉ. इंद्रजीत द्वारा निगम आयुक्त को पत्र लिखकर इन पदों पर शीघ्र चुनाव कराने की मांग की गई। जिसमें उन्होंने कहा कि इन पदों के रिक्त रहने के कारण विकास कार्य रुक गए हैं। 60 दिनों में चुनाव कराना जरूरी याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि हरियाणा नगर निगम अधिनियम की धारा 36 के तहत सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव निगम के निर्वाचित पार्षदों के बीच से एक महीने के भीतर कराया जाना आवश्यक है। वहीं, चुनाव नियमावली की धारा 71 के तहत यह प्रक्रिया अधिकतम 60 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए। मानेसर में निर्दलीय मेयर दरअसल मानेसर नगर निगम के मेयर पद पर निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत यादव की जीत के बाद से ही सियासी सरगर्मियां तेज हैं। मानेसर नगर निगम में मेयर चुनाव के बाद सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में देरी और सियासी खींचतान के कारण विवाद चल रहा है। अहीरवाल के दो नेताओं के दबदबे में अटका दरअसल निर्दलीय मेयर डॉ. इंद्रजीत सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की समर्थक है और कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह सात निर्दलीय पार्षदों को भाजपा में शामिल करवा चुके हैं। ऐसे में यहां दोनों राव के बीच नाक का सवाल बना हुआ है। क्योंकि डॉ. इंद्रजीत ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए राव इंद्रजीत के नाम का सहारा लेकर भाजपा के सुंदरलाल यादव को हराया था। सुंदरलाल को जिताने के लिए मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री समेत पूरे भाजपा संगठन ने जाेर लगा रखा था।