देश में पहली बार हो रहे शहरी स्थानीय निकायों के राष्ट्रीय सम्मेलन का आज गुरुग्राम में शुभारंभ होगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। मानेसर स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) में आयोजित इस सम्मेलन में देशभर से 500 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे। सम्मेलन के पहले दिन सात नगर निगमों के मेयर और कमिश्नर अपने-अपने शहरों के विकास मॉडल और सर्वश्रेष्ठ कार्यों की प्रस्तुति देंगे। इन मॉडल्स का उपयोग देश के अन्य शहरों में भी किया जा सकेगा। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के अलावा उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल और शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल उपस्थित रहेंगे। संवाद और सहयोग को मिलेगी नई दिशा हरियाणा विधानसभा स्पीकर हरविंद्र कल्याण ने कहा कि यह सम्मेलन देशभर की विधायी संस्थाओं, नगर निकायों और प्रशासनिक इकाइयों के बीच संवाद, समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देगा। हमारा उद्देश्य नीतियों पर चर्चा के साथ-साथ लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक ले जाना और जन-भागीदारी सुनिश्चित करना है। इस सम्मेलन में शहरी विकास की रूपरेखा पर व्यापक चर्चा की जा रही है, जिसमें 500 से अधिक डेलीगेट्स भाग लेने पहुंचे हैं। लोकतंत्र की आत्मा है विधायिका उन्होंने कहा कि विधायिका केवल कानून बनाने का माध्यम नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा है। स्थानीय निकायों को और अधिक उत्तरदायी बनाकर लोकतंत्र की जड़ें और गहरी की जा सकती हैं। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इस सम्मेलन को केवल तकनीकी या व्यवस्थागत आयोजन न मानें, बल्कि इसके लोकतांत्रिक और राष्ट्रीय महत्व को समझें। उन्होंने मेहमाननवाजी पर विशेष ध्यान देने को कहा ताकि यह सम्मेलन सभी के लिए यादगार बन सके। विकसित भारत 2047 पर फोकस जिला उपायुक्त अजय कुमार ने बताया कि सम्मेलन में देशभर से नगर निगमों के मेयर, आयुक्त एवं अन्य प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन का उद्देश्य शहरी प्रशासन को अधिक प्रभावी, समावेशी और नवाचारोन्मुख बनाना है, जिससे विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को साकार किया जा सके। पहले दिन के कार्यक्रम में देश के प्रमुख नगरों-भुवनेश्वर, कोयंबटूर, इंदौर, लखनऊ, पुणे, सूरत और विशाखापट्टनम द्वारा अपनाई गई सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों की प्रेजेंटेशन दी जाएंगी। इन शहरों के मेयर या कमिश्नर अपनी बेहतर योजनाओं की जानकारी देंगे। इसके बाद पांच अलग-अलग उप विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित होंगी। सम्मेलन के पांच विषय