‘लालू यादव के खास ने बिस्कोमान को बर्बाद किया’:नए चेयरमैन विशाल सिंह बोले-सुनील सिंह ने ईगो की लड़ाई में लोगों का नुकसान किया, सबकी जांच होगी

‘सुनील सिंह अपना ईगो शांत करने के लिए सरकार से उलझते रहे। इसका खामियाजा बिस्कोमान और बिहार के करोड़ों किसानों को उठाना पड़ा है। अब ऐसा नहीं होगा।’ पहले बैलेट और फिर कोर्ट की लंबी लड़ाई जीतकर विशाल सिंह बिस्कोमान के चेयरमैन बने हैं। गुरुवार को उन्होंने पदभार ग्रहण किया और बोर्ड की पहली बैठक की। भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में विशाल सिंह ने कहा, ‘सुनील सिंह ने बिस्कोमान के अध्यक्ष से ज्यादा RJD के MLC पद को तवज्जो दिया। इसके कारण वे सरकार से झगड़ते रहे। मेरी पहली प्राथमिकता सरकार से काम लाने की होगी। चाहे इसके लिए सरकार के सामने हाथ क्यों न जोड़ना पड़े। यही वो तरीका है जिसके माध्यम से हम सहकारिता और किसान, दोनों का भला कर सकते हैं।’ 21 साल बाद बिस्कोमान के चेयरमैन पद से सुनील सिंह को हटाने वाले विशाल सिंह का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू….। सवाल- आपने सुनील सिंह को हरा दिया, इसे कैसे देखते हैं? जवाब- कौन क्या कह रहा है, इस तरह की भाषा का इस्तेमाल मैं नहीं करुंगा। हम दोनों चुनाव लड़े। मैं जीत गया, वो हार गए। बस इतनी सी बात है। सवाल- सुनील सिंह के 21 साल के कार्यकाल को आप कैसे देखते हैं? जवाब- सुनील सिंह ने बिस्कोमान को एक पॉलिटिकल प्लेटफॉर्म बना दिया था। इसका नुकसान उन्हीं को हुआ। बहुत लंबे समय तक को-ऑपरेटिव के आंदोलनकारियों ने उन्हें बहुत इज्जत दी। आज स्थिति क्या है, ये सोचने वाली बात है। सभी को पता है। सवाल- क्या बिस्कोमान के राजनीतिकरण से नुकसान हुआ है? जवाब- 2004 से 2014 तक केंद्र सरकार में लालू यादव जी थे। उसका फायदा होना चाहिए था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बीच में बिहार में RJD की सरकार बनी उस दौरान बिस्कोमान को क्या फायदा हुआ। अब वे कहते चल रहे हैं कि BJP सरकार ने उनकी मदद नहीं की। यह कहना आसान है। आप RJD के MLC हैं। राबड़ी जी आपको राखी बांधती हैं। 10 साल तक केंद्र में आपकी सरकार रही। लोकसभा में पहली पंक्ति में लालू जी बैठते थे। सरकार में उनका रुतवा था। उस समय भी आप काम नहीं करवा पाए। इसके बाद कहते हैं कि BJP सकार मदद नहीं करती है। कोई सरकार तो आपके लिए होगी। सुनील सिंह न तो भारत सरकार से काम करवा पाए और न बिहार सरकार से करवा पाए। जो यहां बैठे थे, उनका एटीट्यूड ही सही नहीं था। उनके एटीट्यूड से बिस्कोमान को बहुत नुकसान हुआ है। समिति में जिन्हें भी काम मिला, वे काम ही नहीं कर पाए। राजनीति करना अलग बात है। सुनील सिंह की प्राथमिकता बिस्कोमान के मतदाता की तरफ होना चाहिए था। लेकिन उन्होंने सरकार से काम मांगा ही नहीं। मैं तो हाथ जोड़कर सरकार से काम मागूंगा। सवाल- क्या आप सुनील सिंह के कार्यकाल की जांच कराएंगे? जवाब- अगर किसी पर करप्शन का चार्ज है तो बच नहीं पाएगा। अभी किसी पर करप्शन के केस चल रहे हैं तो वे रुकेंगे नहीं। मेरे कहने पर बात छुपेगी या झुठलाई नहीं जाएगी न। बिस्कोमान आज से थोड़ा अलग तरीके से काम करेगा। जो कहा जाएगा वो लिखा जाएगा। जो लिखा जाएगा वो काम होगा। यहां के लोगों को मेरे साथ काम करने में थोड़ी दिक्कत होगी। मैं जितने दिन इस कुर्सी पर हूं अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह बहुत जिम्मेदारी से करुंगा। सवाल- बिस्कोमान को लेकर आपके पास कोई प्लानिंग है? अगले दो साल में आप इसे कहां देखना चाहते हैं? जवाब- मैं ये चाहता हूं कि बिहार में जो भी दलहन-तिलहन की खरीदारी हो, उसकी जिम्मेदारी बिस्कोमान को मिले। भारत सरकार की तरफ से नेफेड को दलहन- तिलहन की खरीदारी के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। ये बिहार के इतिहास में पहली बार हुआ है। मेरी कोशिश है कि बिहार में दलहन-तेलहन की खरीदारी बिस्कोमान को मिले और बिस्कोमान इसे अपनी समितियों के माध्यम से करे। ये बहुत बड़ा काम है। बिहार के किसान से लेकर उपभोक्ता तक को इससे बड़ा फायदा मिलेगा। खाद का काम सुनील जी के समय होता था, इसे मल्टीफोल्ड बढ़ाने का प्रयास रहेगा। बहुत सारी चीजें सुनने में आती थी। इसमें सबसे बड़ा काम आवंटन का है, इसे 100 प्रतिशत कराने की कोशिश रहेगी। सवाल- यूरिया की कालाबजारी बड़ी चुनौती है, इससे कैसे निपटिएगा? जवाब- हमारा प्रयास रहेगा कि कालाबाजारी खत्म करने के लिए बाकी प्रदेशों में क्या हो रहा है, वहां हमारे प्रतिनिधि जाएंगे, समझेंगे और उसे यहां लागू करेंगे। हमारे यूरिया के सेंटर चलते हैं। कितने फायदे में हैं, कितने घाटे में हैं, इसका आकलन करने की जरूरत है। क्या जितना प्रतिशत यूरिया मिलनी चाहिए, ये मिल रही है या नहीं। ये सब समझने के बाद ही इसके बारे में कुछ बोला जा सकता है। सवाल- क्या आपके परिवार से कोई बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेगा? जवाब- मैं उस स्थिति में नहीं हूं कि अपने आप को सिंबल दे दूं। अगले बिहार विधानसभा के चुनाव तक बिस्कोमान के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मेरे पास है। बिहार के किसान और समिति में योगदान देने वालों की सेवा करनी है। उसके आगे क्या होगा ये समय बताएगा। सवाल- बूथ से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़ने के बाद जीते, कितना मुश्किल रहा इस कुर्सी तक पहुंचना? जवाब- कोई भी चुनाव मुश्किल ही होता है। सुनील जी यहां 21 साल तक अध्यक्ष रहे तो इसके लिए उन्होंने भी संघर्ष किया और हमने भी। हमारा संघर्ष थोड़ा ज्यादा लंबा रहा, क्योंकि वे कुर्सी पर थे। सवाल- आप अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के शख्स हैं, जो बिस्कोमान के इस दफ्तर तक आए, कैसे देखते हैं इसे? जवाब- मेरे दादा जी अध्यक्ष थे। पिताजी डायरेक्टर थे, सुनील सिंह को अध्यक्ष बनाने में मेरे पिताजी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उस समय बिहार में चुनाव नहीं हो रहे थे। उनके पहले से बिहार की सभी समितियों के चुनाव हुए। समिति से लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। मेरा प्रयास रहेगा कि हम सब मिलकर इसे आगे लेकर जाएं। सुनील जी की पत्नी भी इस बोर्ड में हैं।

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