बिहार विधानसभा चुनाव से वोटर लिस्ट में विशेष संशोधन प्रक्रिया (SIR) को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस, RJD और वाम दलों समेत INDIA गठबंधन ने इसे पक्षपाती और संदिग्ध बताया है। वहीं, चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि वेरिफिकेशन (सत्यापन) का काम ऑर्टिकल-326 और लोक प्रतिनिधित्व कानून के दायरे में ही किया जा रहा है। इससे किसी वैलिड (वैध) वोटर का नाम नहीं कटेगा, बल्कि विदेशी घुसपैठियों सहित वोटर लिस्ट में गलत तरीके से नाम जुड़वाने वाले बाहर होंगे। भास्कर में पढ़िए, चुनाव आयोग का आदेश क्या है? विपक्ष क्यों कर रहा विरोध? आपका नाम वोटर लिस्ट से कटेगा या नहीं? अगर नाम कटा तो क्या करना होगा? विशेष संशोधन प्रक्रिया क्या हैः वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया को विशेष संशोधन प्रक्रिया कहा जाता है। यह कभी संक्षिप्त तो कभी विस्तृत रूप से कराया जाता है। बिहार में आखिरी बार 2003 में यह सब हुआ था। चुनाव आयोग के निर्देश क्या हैंः 24 जून को चुनाव आयोग ने निर्देश जारी कर कहा है, ‘हर वोटर को व्यक्तिगत गणना फॉर्म जमा करना जरूरी है। 1987 के बाद जन्मे और 1 जनवरी 2003 के बाद वोटर लिस्ट में जुड़े लोगों को बर्थ सर्टिफिकेट, पासपोर्ट या किसी एजुकेशनल सर्टिफिकेट के जरिए अपनी नागरिकता का प्रमाण देना होगा।’ चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करने के लिए जन्म तिथि और जन्म स्थान का प्रमाण देने के लिए जुलाई 1987 की कट ऑफ डेट तय की है। आयोग ने कहा है, ‘राज्य से बाहर रहनेवाले मतदाताओं को भी गणना प्रपत्र भरना अनिवार्य होगा। फॉर्म ECI की वेबसाइट से डाउनलोड कर 26 जुलाई तक भरना होगा। फॉर्म को भरने और साइन करने के बाद डॉक्यूमेंट अपलोड करना होगा। इसके बाद मतदाता सूची में नाम बना रहेगा। फॉर्म नहीं भरने पर मतदाता सूची से नाम हटेगा। उन सवालों के जवाब, जो आपके लिए जरूरी है सवाल- फॉर्म कहां से मिलेगा? जवाब- BLO आपके घर जाकर देंगे। चुनाव आयोग के एप या वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। सवाल- क्या फॉर्म भरना जरूरी है? जवाब- हां, सभी वोटरों के लिए जरूरी है। इससे आपका नाम वेरिफाई हो जाएगा। सवाल- कौन-कौन सी जानकारी देनी है? जवाब- इसमें नाम, रंगीन पासपोर्ट साइज की फोटो, ईपीक नंबर, जन्म तिथि, आधार संख्या (वैकल्पिक), मोबाइल नंबर, माता-पिता/कानूनी अभिभावक व जीवनसाथी का नाम (यदि ईपीक नंबर हो) देना है। सवाल- दस्तावेज में क्या देना होगा? जवाब- केंद्र, राज्य, पीएसयू के नियमित कर्मचारी का पहचान पत्र और पेंशन भोगी का पीपीओ, 1 जुलाई 1987 के पहले का बैंक, डाकघर, एलआईसी आदि का प्रमाण, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, मैट्रिक सर्टिफिकेट, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, वन अधिकार प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, पारिवारिक रजिस्टर, सरकार की कोई भूमि, मकान का आवंटन प्रमाण पत्र आदि। सवाल- BLO की जानकारी कैसे मिलेगी? जवाब- https://ceoelection.bihar.gov.in या ईसीआई नेट ऐप से। सवाल- फॉर्म जमा नहीं करने पर क्या होगा? जवाब- मतदाता सूची से नाम कट जाएगा। नाम जुड़वाने के लिए फॉर्म-6 भरना होगा। सवाल- मेरे पास ईपीक कार्ड है तो फॉर्म क्यों भरें? जवाब- आपका नाम मतदाता सूची में है। लेकिन इसे सत्यापित करने के लिए फॉर्म भरना पड़ेगा। सवाल- जन्म तिथि के अनुसार कौन सा दस्तावेज जमा करें? जवाब- 1 जुलाई 1987 से पहले जन्म: जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य है। 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच: अपना या माता-पिता में से किसी एक का दस्तावेज। 2 दिसंबर 2004 के बाद: अपना और माता-पिता में किसी एक का दस्तावेज; यदि माता-पिता भारतीय नहीं हैं, तो उनका पासपोर्ट और वीजा। सवाल- अगर जन्म भारत के बाहर हुआ हो तो क्या दस्तावेज देना होगा? जवाब- विदेश में भारतीय मिशन द्वारा जारी जन्म पंजीकरण से संबंधित दस्तावेज देना होगा। सवाल- विदेश में हैं और भारतीय नागरिकता प्राप्त है तो क्या दस्तावेज देना होगा? जवाब- फॉर्म के साथ नागरिकता पंजीकरण प्रमाण पत्र देना होगा। सवाल- अगर कोई कुछ दस्तावेज नहीं दे पाता है तो क्या उसका नाम वोटर लिस्ट से हट जाएगा? जवाब- नहीं, सिर्फ दस्तावेज न देने से नाम नहीं हटेगा। BLO वोटर से संपर्क करेगा। यदि व्यक्ति की पहचान और स्थायी निवास की पुष्टि नहीं हो पाती है, तभी नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई होगी। आयोग के मुताबिक, ये पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है और हर वोटर को मौका मिलेगा। सवाल- 2003 के बाद जिनका नाम वोटर लिस्ट में जुड़ा है, क्या उन्हें माता-पिता का नाम या प्रूफ देने की जरूरत है? जवाब- अगर आपका नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं है और आपने बाद में नाम जुड़वाया है, तो आपको अपनी नागरिकता और जन्म से जुड़े कुछ दस्तावेज देने होंगे। इनमें माता-पिता का नाम और उनके जन्म से जुड़े प्रमाण भी शामिल हो सकते हैं। इसका मकसद केवल यह तय करना है कि आप भारतीय नागरिक हैं। फॉर्म भरना जरूरी क्यों… भारत निर्वाचन आयोग पिछले 75 वर्षों से पुनरीक्षण करते आ रहा है। कभी वार्षिक, कभी संक्षिप्त तो कभी गहन पुनरीक्षण किया जाता है। इस बार SIR हो रहा है। इसमें मृत्यु, ट्रांसफर (रोजगार, शिक्षा, विवाह आदि कारणों से), नए वोटरों की जानकारी अपडेट होगी। 2003 की सूची में नाम है तो क्या… बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने बताया, ‘2003 में SIR हुआ था। इस दौरान मतदाताओं की संख्या 4 करोड़ 96 लाख थी। इन मतदाताओं को दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। सिर्फ सत्यापन के लिए गणना प्रपत्र भरना है। 2003 की सूची में नाम नहीं तो क्या… यदि किसी व्यक्ति का नाम 2003 की बिहार की मतदाता सूची में नहीं है। लेकिन, उनके माता या पिता का नाम है, तो ऐसे मामलों में माता-पिता से संबंधित अन्य कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। कांग्रेस-RJD सहित INDIA गठबंधन की पार्टियां क्यों कर रही विरोध इस मसले पर बुधवार शाम दिल्ली में कांग्रेस, RJD, लेफ्ट सहित INDIA गठबंधन की पार्टियों का एक प्रतिनिधि मंडल चुनाव आयोग के पदाधिकारियों से मिला। 3 घंटे तक चली मुलाकात में सबने अपनी चिंता को जाहिर किया। नेताओं ने इस बात पर आपत्ति जताई कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता की जानकारी मांगी जा रही है, जो गरीब और ग्रामीण लोगों के पास नहीं होती। कांग्रेस ने इसे मतदान अधिकारों की डकैती और एक गैर-सरकारी NRC करार दिया। विपक्ष के 6 बड़े सवाल… चुनाव आयोग ने दिए 2 बड़े तर्क 1. डेढ़ लाख एजेंट जुटे हैं, किसी का नाम नहीं कटेगा बिहार में फिलहाल करीब 7 करोड़ 89 लाख वोटर हैं। इसमें से करीब 4 करोड़ 96 लाख वोटर 2003 के वोटर लिस्ट में भी शामिल थे। उनका वेरिफिकेशन नहीं होगा। यानी बाकी बचे 2 करोड़ 93 करोड़ वोटरों का ही वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसके लिए राजनीतिक दलों के करीब डेढ़ लाख बूथ लेवल एजेंट (BLA) इस मुहिम में जुटे हैं। इसमें सभी दलों के लोग शामिल हैं। ऐसे में किसी वैध वोटर के नाम कटने की गुंजाइश कम है। अभी भी सभी राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा BLA बनाकर लिस्ट को पारदर्शी बना सकते हैं। 2. पिछली बार भी 31 दिन में हुआ था वेरिफिकेशन चुनाव आयोग का कहना है कि पिछली बार यानी 2003 में 31 दिन में ही SIR हुआ था। इस बार भी कमोबेश एक महीने का टाइम है। अभी करीब डेढ़ लाख BLA काम पर जुटे हैं। एक BLA एक दिन में अधिक से अधिक 50 आवेदन बूथ लेवल आफिसर (BLO) के पास जमा कर सकता है। इस तरह एक दिन 75 लाख से अधिक आवेदन BLO के पास जमा हो सकता है। अगर इसी रफ्तार से काम हुआ तो टोटल वोटर यानी 7 करोड़ 89 लाख लोगों का आवेदन जुटाने में 11 दिन लगेगा, जबकि वेरिफिकेशन के लिए करीब महीनेभर का समय है। पुनरीक्षण का काम 27 जून से शुरू है। कितने कर्मचारी काम पर जुटे हैं इस काम में 2,25,590 कर्मचारी और स्वयंसेवक लगाए गए हैं। इनमें से 81,753 प्रशासनिक कर्मचारी और 1,43,837 स्वयंसेवक शामिल हैं। 98,498 मतदान केंद्रों पर BLO के नेतृत्व में काम चल रहा है।