बिहार में चुनावी बिसात बिछने लगी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने विपक्ष के बड़े नेता तेजस्वी यादव को उनके क्षेत्र में ही घेरने का प्लान बना लिया है। इसकी तसदीक बिहार सरकार के हाल के कुछ निर्णय से हो रही है। 23 जून को CM नीतीश कुमार ने कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्स लेन पुल के राघोपुर तक के हिस्से का उद्घाटन कर दिया। इससे राघोपुर पहली बार इस पुल के रास्ते पटना से सीधे सड़क से जुड़ गया। इसके बाद सरकार ने राघोपुर के विकास के लिए एक कमेटी का गठन किया है। जिसने सोमवार को इलाके का दौरा कर मसौदा बनाने का काम शुरू कर दिया है। राजनीतिक हलके में सरकार के इस कदम को तेजस्वी की घेराबंदी के तौर पर देखा जा रहा है। स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए और देखिए, राघोपुर जीतने का NDA का प्लान…। 2 पॉइंट में राघोपुर जीतने का NDA प्लान समझिए… 1. विकास के सहारे वोट का जुगाड़ चुनाव से 4 महीने पहले बिहार सरकार ने वैशाली जिले के राघोपुर को विकसित करने की कार्य योजना को मंजूरी दी है। एक कमेटी का गठन किया है। बताया जा रहा है कि यहां इंडस्ट्रियल एरिया, लॉजिस्टिक एरिया और IT पार्क बनाए जाएंगे। साथ ही सिंगापुर मॉडल की तर्ज पर राघोपुर टाउनशिप विकसित की जाएगी। दियारा के इस इलाके को बांध बनाकर सुरक्षित किया जाएगा। राघोपुर दियारा में सामाजिक, आर्थिक और टूरिस्ट पर जोर दिया जाएगा। बाहर से निवेश के नए रास्ते बनेंगे, जिससे युवाओं को घर में ही रोजगार मिल जाए। विकास की संभावना तलाशने के लिए सोमवार को कमेटी के सदस्यों ने गंगा के उत्तरी छोर से लेकर चकसिकंदर के बीच के एरिया को देखा। अब कमेटी स्थल अध्ययन करके नियोजित विकास के लिए कार्य योजना का प्रारूप नगर विकास एवं आवास विभाग को देगी। कमेटी में कौन-कौन हैंः पथ निर्माण विभाग के विशेष सचिव शीर्षत कपिल अशोक, जल संसाधन विभाग के यशपाल मीणा, राजस्व भूमि सुधार विभाग के अजीव वत्स राज, नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर सचिव राजीव कुमार श्रीवास्तव। पॉलिटिकल एक्सपर्ट रवि उपाध्याय बताते हैं, ‘नीतीश कुमार ने जिस तरह से राघोपुर के लिए विशेष ऐलान किया है, उससे निश्चित रूप से तेजस्वी यादव की चुनौती बढ़ेगी। विकास हर आदमी चाहता है। सरकार को कोशिश भी करनी चाहिए। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि वोट लास्ट में आकर जाति पर ही पड़ेगा। हां, यह जरूर है कि कुछ हद तक परसेप्शन बदलेगा।’ 2. विकास के साथ जातियों की गोलबंदी भी कर रही JDU-BJP राघोपुर में नीतीश कुमार ने तेजस्वी को चुनौती देने के लिए विकास के मॉडल को तरजीह दी है। साथ ही जातीय समीकरण को भी साधने की तैयारी है। राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में यादव के अलावा गैर यादवों की संख्या भी काफी ज्यादा है। गैर-यादव पिछड़ी जातियों और सवर्णों को एकजुट करके तेजस्वी के वर्चस्व को चुनौती देने की रणनीति बनाई गई है। इसमें खासकर राजपूत, निषाद, कुशवाहा, पासवान, धींवर आदि समाज पर NDA जोर दे रहा है। चिराग ने राजपूत प्रत्याशी दिया तो तेजस्वी की बढ़ी थी मार्जिंग राघोपुर में यादव के बाद राजपूत सबसे अहम कड़ी है। इसलिए समीकरण साधने के लिए RJD किसी ना किसी राजपूत प्रत्याशी को बगल वाली सीट पर जरूर लड़ाती है। 2020 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तेजस्वी के सामने सतीश कुमार यादव को उतारा था। 2015 में भी दोनों आमने-सामने थे। हालांकि, 2020 में तेजस्वी की जीत की मार्जिंग 2015 के मुकाबले अधिक थी। तब कहा गया था कि चुनावी गणित को बिगाड़ने के लिए चिराग पासवान ने राजपूत उम्मीदवार राकेश रोशन को मैदान में उतार दिया था। इससे तेजस्वी यादव की राह आसान हो गई थी। अब तक अबकी बार चिराग एनडीए में हैं और लड़ाई आमने-सामने की है। ऐसे में NDA 2010 की रणनीति बनाकर राबड़ी देवी की तरह तेजस्वी को भी पटखनी देना चाहता है। NDA के लिए राघोपुर जीतना कितना आसान? राघोपुर यादव बहुल विधानसभा सीट हैं। यहां बीते 56 साल से गैर यादव कोई भी कैंडिडेट चुनाव नहीं जीत सका है। आखिरी बार 1967 में गैर यादव हरिवंश नारायण सिंह चुनाव जीते थे। उसके बाद से यहां के विधायक यादव समाज से ही आते रहे हैं। सीनियर जर्नलिस्ट कन्हैया भेलारी कहते हैं, ‘जमीनी सच्चाई है कि NDA अगर यादव और मुसलमानों के गांव में सोने की सड़क भी बनवा देगी तो उन्हें वोट नहीं मिलेगा। कभी-कभी लहर चलती है, जब जाति की दीवार टूट जाती है। अभी ऐसी कोई लहर नहीं चल रही है।’ सरकार की घोषणाओं का तेजस्वी यादव के वोटरों पर रत्ती भर भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकार कोशिश कर रही है और करनी भी चाहिए, लेकिन राघोपुर में इसका कोई असर नहीं होगा।’