श्री गुरु हरगोबिंद साहिब के मीरी पीरी दिवस पर श्री अकाल तख्त साहिब में गुरमत समागम

भास्कर न्यूज | अमृतसर श्री गुरु हरगोबिंद साहिब के मीरी पीरी दिवस के अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब पर एक गुरमत समागम करवाया गया। जिसमें एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी, श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज्ज व अन्य प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। इस अवसर पर श्री अखंड पाठ साहिब के भोग के बाद सचखंड श्री हरमंदर साहिब के हजूरी रागी जत्था ने गुरबाणी कीर्तन किया और अरदास के बाद श्री अकाल तख्त साहिब के हैड ग्रंथी ज्ञानी गुरमुख सिंह द्वारा संगत को पवित्र हुकमनामा सुनाया गया। समागम को संबोधित करते हुए जत्थेदार कुलदीप सिंह ने संगत को मीरी पीरी दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि छठे गुरु ने मीरी पीरी के सिद्धांत से जोड़कर सिख कौम को जो रास्ता दिखाया है, वह धर्म पर चलते हुए सच्चाई की राजनीति के जरिए दीन-दुखियों की रक्षा करने का है। उन्होंने कहा कि दुनिया में माना जाता है कि धर्म और राजनीति अलग-अलग है, लेकिन गुरुओं ने सिखों को एक अनूठा सिद्धांत दिया। श्री गुरु नानक देव जी ने मीरी को जुल्म के रास्ते पर चलने से मना किया और पाखंड और कर्मकांड को त्याग कर ईश्वर से जुड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि श्री गुरु नानक साहिब जी के सिद्धांत के अनुसार गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने धर्म और राजनीति को इकट्ठा किया तथा मीरी पीरी की तलवारें पहनकर सिखों को आध्यात्मिक के साथ-साथ राजनीतिक शक्ति के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर सचखंड श्री हरमंदर साहिब के ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी केवल सिंह, श्री अकाल तख्त साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी गुरमुख सिंह, ज्ञानी मलकीत सिंह, एसजीपीसी सचिव प्रताप सिंह, अतिरिक्त सचिव बिजै सिंह, प्रीतपाल सिंह, भगवंत सिंह, अमृतपाल सिंह कुलार मौजूद थे। एडवोकेट धामी ने श्री गुरु श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के मीरी पीरी दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि छठे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी की शहादत के बाद छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद जी ने सैद्धांतिक रूप से धर्म आधारित राज्य की अवधारणा को बढ़ावा दिया और मीरी और पीरी की दो तलवारें अपनाईं। उन्होंने कहा कि जहां श्री गुरु अर्जन देव जी ने शांतिप्रिय रहकर जुल्म का विरोध करते हुए शहादत प्राप्त की, वहीं श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने सशस्त्र खालसा सेना का गठन करके जुल्म करने वालों के जुल्म का मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने संगत को गुरु साहिब के सिद्धांतों पर चलने को प्रेरित किया।

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