बिहार में क्या जंगलराज वापस लौट रहा है…? राज्य के बड़े बिजनेसमैन में शुमार गोपाल खेमका की हत्या ने नए सिरे से लोगों के मन में इस सवाल को उकेर दिया है। शुक्रवार देर रात हुई इस सनसनीखेज वारदात ने सरकार के सुशासन के दावों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। खेमका की हत्या कोई इकलौती घटना नहीं है, बल्कि इसी साल करीब 8 बड़े कारोबारियों की हत्या की गई है। वहीं, पुलिस के कमजोर होते इकबाल की तस्दीक बीते 23 दिनों में पुलिस पर हुए हमले कर रहे हैं। पटना में पिछले 4 महीने में 115 हत्या की घटनाएं हुई है। यानी हर 25 घंटे में एक हत्या की घटना हुई है। कानून की बिगड़ती स्थिति पर जून में IG से लेकर पटना SSP समेत पटना पूर्वी SP डॉ. के रामदास, सेंट्रल SP स्वीटी सहरावत और पश्चिमी SP सरथ आर एस का ट्रांसफर कर दिया गया। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए और देखिए, बिहार में क्यों खत्म हो रहा पुलिस का इकबाल, क्राइम पर कंट्रोल क्यों नहीं कर पा रही पुलिस? सबसे पहले बड़े बिजनेसमैन की हत्या और पुलिस पर हुए हमले को जानिए… 23 दिन में पटना में 5 बार पिटी पुलिस केस-1ः पुलिस चेकिंग से परेशान बिगड़ैल लड़कों ने पुलिस को रौंदा 11 जून की देर रात एसके पुरी थाना की पुलिस टीम अटलपथ पर शिवपुरी इलाके के पास गाड़ियों की चेकिंग कर रही थी। उसी दौरान रात करीब 12:30 बजे तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने चेकिंग कर रहे पुलिस टीम को रौंद दिया। इसमें नालंदा की रहने वाली महिला सिपाही कोमल की मौत हो गई थी। जबकि, SI दीपक कुमार और ASI अवधेश गंभीर रूप से घायल हो गए। इनके अलावा चेकिंग में शामिल 7 पुलिसकर्मी बाल-बाल बच गए थे। स्कॉर्पियो पर भाजपा का झंडा लगा था। गाड़ी में फुलवारी शरीफ के महुआ बाग का निखिल, वेद प्रकाश उर्फ अंकित, कुलदीप और अंकुश उर्फ राजा बैठे थे। निखिल और वेद प्रकाश ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि पिछले कुछ दिनों से हर दिन दोस्तों के साथ जेपी गंगा पथ पर घूमने जाते थे, लेकिन रास्ते में लगातार पुलिस की चेकिंग होती थी। इससे समय बर्बाद होता था। वो पुलिस की चेकिंग से तंग आ चुके थे। इसलिए पुलिस कर्मियों पर गाड़ी चढ़ा दी थी। फिलहाल सभी आरोपी जेल में बंद हैं और जल्द पुलिस इनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करेगी। केस-2ः गिरफ्तार करने गई पुलिस पर हमला 22 जून की रात पटना में मरांची थाना की पुलिस एक केस में फरार चल रहे धनंजय सिंह उर्फ पोलू सिंह को छापेमारी कर गिरफ्तार करने के लिए उसके घर पहुंची थी। इस कार्रवाई के दौरान पुलिस से बचने की कोशिश में धनंजय और उसका बेटा छत की रेलिंग से नीचे गिर गया। इसके बाद आरोपी के परिवार वाले उग्र हो गए। पुलिस के ऊपर लाठी और डंडा लेकर टूट पड़े थे। जानलेवा हमले में सब इंस्पेक्टर आदर्श कुमार और एएसआई शैलेंद्र कुमार सिंह समेत तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने मरांची थाना में अलग से FIR दर्ज की थी। केस-3ः ट्रैफिक पुलिस ने जांच के लिए रोका तो रौंदने का किया प्रयास 24 जून को चितकोहरा पुल के पास सीट बेल्ट नहीं लगे रहने पर ट्रैफिक पुलिस ने थार गाड़ी को रोकने की कोशिश की। लेकिन, थार ड्राइव कर रहे शख्स ने गाड़ी साइड कर रोकने की जगह ट्रैफिक पुलिस की महिला सिपाही और जवानों को रौंदना चाहा। हालांकि, सूझबूझ की वजह से पुलिसकर्मियों ने अपनी जान बचा ली। किसी पुलिसकर्मी को उस दरम्यान कुछ हुआ नहीं। पूरी घटना वहां लगे CCTV कैमरे में कैद हो गई। पुलिस जांच में साहिल देव की पहचान हुई। जो पटना में सुल्तानगंज के प्लास्टिक गली का रहने वाला है और स्टूडेंट है। गाड़ी इसके पिता और एक फार्मा कंपनी में काम करने वाले गणेश कुमार के नाम से रजिस्टर्ड है। घटना के वक्त साहिल गाड़ी के अंदर बैठा था। जबकि, ड्राइव उसका दोस्त राहुल कर रहा था। इस मामले में गर्दनीबाग थाना में पुलिस ने FIR दर्ज की। कार्रवाई करते हुए साहिल देव को गिरफ्तार किया। जबकि, थार ड्राइव करने वाला इसका दोस्त राहुल अब भी फरार है। केस-4ः पूछताछ करने गई पुलिस पर हमला 28 जून को कंकड़बाग में पुलिस की टीम ड्रग तस्करों को पकड़ने गई थी। झोपड़पट्टी में छापेमारी कर पुलिस ने तीन ड्रग तस्करों सैफ आलम, अरविंद कुमार और इंद्रजीत कुमार को पकड़ा था। इन तीनों से पूछताछ में झोपड़पट्टी के पास में स्थित एक दवा दुकानदार नाम सामने आया। जो ड्रग्स के धंधे में इनके साथ शामिल था। इनकी निशानदेही पर पुलिस की टीम दवा दुकान पर दुकानदार से पूछताछ करने पहुंची थी। दुकानदार शंकर कुमार और उसके बेटा अभिषेक वहां पहुंचे पुलिस टीम से ही उलझ गए। जांच के दरम्यान बात इतनी बिगड़ गई कि बाप-बेटे ने मिलकर पुलिस टीम पर ही हमला कर दिया। साथ ही लाठी-डंडे से वार कर सिपाही सुनील कुमार का सिर फाड़ दिया। इसके बाद थाना से एक्स्ट्र्रा पुलिस फोर्स को बुलाया गया। फिर दोनों की गिरफ्तारी हुई। केस-5ः अगलगी में जाने से रोका को तो सिपाही को पीटा 2 जुलाई को दानापुर में खगौल रोड स्थित आशियाना महिंद्रा इन्क्लेव के फोर्थ फ्लोर पर स्थित रेस्टोरेंट में आग लग गई थी। रेस्टोरेंट के मालिक और स्टाफ बचाव कार्य के बीच अंदर जाना चाहते थे, पर पुलिस वहां मौजूद पुलिस टीम ने इन्हें रोक दिया। इस वजह से रेस्टोरेंट मालिक और उनके लोग नाराज हो गए। इसके बाद उल्टा पुलिस से उलझ गए और उनके उपर ही हमला कर दिया। उन्हें हेलमेट से पीटा। इसमें पुलिस के तीन सब इंस्पेक्टर नवीन कुमार, ब्रजेश कुमार और अरुण कुमार जख्मी हो गए। इस केस में अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को बदलना होगा बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर पूर्व DGP अभयानंद कहते हैं, ‘क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बहुत खराब स्थिति में है। यह देख कर बहुत अच्छा नहीं लग रहा है। असेंबली में इस पर डिबेट होना चाहिए था। जो हो नहीं रहा है। इसमें सुधार के उपाय यही हैं कि चारों रनर्स को सही तरीके से अपना-अपना काम करना होगा। जेल का अर्थ सिर्फ सजा के लिए नहीं है। जेल गए लोगों को रिफॉर्म करना चाहिए, उनकी रिफॉर्मेट्री का काम करना होगा।’ पीलर-1ः कानून ऐसा बनाए जो व्यावहारिक हो विधायिका को ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिसे धरातल पर सही से लागू किया जा सके। अभी ऐसे-ऐसे नियम बनाए जा रहे हैं, जिसे जमीन पर उतारना कठिन हो रहा है। पीलर-2ः पुलिस सही FIR करें और जांच निष्पक्ष करें कानून बनने के बाद इसके पालन की जिम्मेवारी पुलिस पर होती है। इनका कर्तव्य बनता है कि वारदात के अनुसार कानून की सही धाराओं में FIR दर्ज करे। सीजर लिस्ट, गिरफ्तारी, जेल भेजने की कानूनी प्रक्रिया, सबूत जुटाने, जांच के लिए सबूतों को FSL में भेजने, कोर्ट में गवाहों का बयान कराने और केस की सही तरीके से जांच कर समय पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की जिम्मेवारी पुलिस की होती है। पीलर-3ः जेल में कैदियों पर पैनी नजर रखें जेल प्रशासन की जिम्मेवारी होती है कि वो कैद में रह रहे कैदियों को न तो डराए और न ही केस को प्रभावित करने की कोशिश करे। साथ ही जेल के अंदर से कैदी किसी दूसरे आपराधिक वारदात को अंजाम देने की कोशिश न करे। इनके सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाए। उन्हें वापस से मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए। यही जेल प्रशासन की जिम्मेवारी होती है। पीलर-4ः कम समय में लोगों को न्याय मिलें ज्युडिशियरी की जिम्मेवारी है कि सही समय पर केस का संज्ञान ले। जल्द से जल्द ट्रायल शुरू करें। फिर गवाहों की गवाही और सबूतों का एनालिसिस कर दोषी को सजा दें। समय पर केस का निपटारा होने से दोषी को सजा मिलती है और अगर कोई निर्दोष है तो वो जल्दी जेल के बाहर आ जाता है। वो अपराधी बनने से बच जाता है। स्पीडी ट्रायल कर दिलानी होगी सजा पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रभात भारद्वाज के मुताबिक, ‘पुलिस या सरकारी सेवा के तहत काम करने वाले किसी भी कर्मचारी के ऊपर हमला करना, उन्हें चोट पहुंचाना या किसी प्रकार की हिंसा उनके साथ करना, कहीं से भी सही नहीं है। ये सरकार के लिए चिंताजनक है। कानून में इसके लिए सजा का प्रावधान है। BNS की धारा 115(2) , 132 ,109(1) और अन्य धाराओं में केस दर्ज हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। मगर, पुलिस भी ऐसे मामलों में सिर्फ केस दर्ज कर महज खानापूर्ति कर रही है। इस वजह से असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ा है। सरकार और पुलिस को स्पीडी ट्रायल कराकर सजा दिलाना चाहिए।’ कमजोर इमेज ने खत्म किया डर साइकोलॉजिस्ट डॉ. बिन्दा सिंह के मुताबिक, ‘लोगों के मन से पुलिस का डर कम हो गया है। इसकी वजह पुलिस की इमेज है। पुलिस वालों के अंदर लेजीनेस आ गया है। कोई अवैध रूप से रुपए कमाने में लगा रहता है तो कोई ड्यूटी के दौरान मोबाइल पर रिल देखता रहता है। कभी आपको कोई पुलिसकर्मी किसी मंत्री और नेता के आगे-पीछे करते दिख जाएगा। ऐसी परिस्थिति में इन्हें लोग क्या वैल्यू देंगे। परिस्थिति को बदलने के लिए पुलिस को अपनी स्ट्रांग पर्सनैलिटी दिखानी होगी।’