पटना के बिहटा प्रखंड के किशुनपुर, मोहरमपुर और बेदौली गांव में बंदरों का आतंक है। पिछले डेढ़ साल से बंदर गांव में आ रहे हैं। पिछले 6 महीने में स्थिति और बिगड़ गई है। तीनों गांव को मिलाकर लगभग 5 हजार की आबादी प्रभावित है। सबसे ज्यादा बच्चों और महिला पर मंकी अटैक करते हैं। जंगली बंदरों के हमले में कई ग्रामीण घायल हुए हैं। एक व्यक्ति का पैर टूट गया है। डर के कारण लोग छत पर नहीं बैठ पाते। गांव में दिन में भी सन्नाटा रहता है। किशुनपुर गांव के मंटू पांडे बोले, ‘दानापुर-बिहटा एलिवेटेड रोड के चौड़ीकरण के दौरान सड़क किनारे के सभी पेड़ काट दिए गए। इस कारण बंदरों का झुंड गांव में आ गया। घायल लोगों का इलाज पटना और अन्य स्थानों पर चल रहा है’। ‘कुछ परिवार गांव छोड़कर जा रहे हैं। पिंटू सिंह अपने परिवार के साथ लखनऊ जाने का फैसला कर चुके हैं। ग्रामीणों ने पटना जिला प्रशासन और वन विभाग को सूचना दी है। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है’। DFO अधिकारी बोले- गांव में अधिकारियों को भेजकर जांच कराई जाएगी पटना DFO अधिकारी गौरव ओझा ने बताया, ‘यह लाल रंग का बंदर वन विभाग के क्षेत्र में नहीं आता। फिर भी गांव में अधिकारियों को भेजकर जांच कराई जाएगी। बंदरों को भगाने की कोशिश या पिंजरा लगाया जाएगा। उन्होंने गांव वालों को बंदरों से दूर रहने की सलाह दी है’। स्थानीय जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कुछ महीने पहले इस बंदर के आतंक के कारण बगीचे में हम लोग बैठे हुए थे। मेरा भाई भी था तभी बंदर ने हमला किया और जान बचाने के लिए मेरा भाई भागा। इसी दौरान उसका पैर टूट गया। बंदर के आतंक से महिला बच्चे परेशान आगे कहा कि बंदर के आतंक से महिला बच्चे सभी लोग परेशान हैं। बंदर के आतंक के कारण घर से बाहर भी लोग नहीं निकल रहा है। बंदर के आतंक के कारण गांव के लोग अब घर के अंदर बंद रहते हैं। या तो ज्यादा जरूरी रहा तो तभी घर से बाहर निकलते हैं, नहीं तो गांव के लोगों पर बंदर हमला करते दिख रहा है। दर्जनों पेड़ काटने से बंदरों का झुंड गांव में पहुंचा दानापुर बिहटा एलिवेटेड रोड का निर्माण बेदौली मौजा और सिकंदरपुर मौजा में सड़क का चौड़ीकरण हो रहा है। ऐसे में दर्जनों पेड़ को काटा गया है, जहां पहले इस पेड़ पर बंदर का झुंड रहा करता था। अब पेड़ के काटने के बाद अब बंदर सड़क के किनारे बसे इन तीनों गांव में आ चुके हैं। अपना आतंक दिखा रहे हैं। हालांकि बंदर के आतंक के कारण तीनों गांव के लोग जान बचाने के लिए प्रशासन से गुहार भी लगा रहे हैं। अब देखना होगा कि कब तक इन तीनों गांव से बंदर का आतंक समाप्त होता है।