एसवाईएल नहर विवाद के समाधान के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान आज दिल्ली में बैठक करेंगे। यह बैठक केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल की मौजूदगी में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे पर आपसी सहमति से हल निकालने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले भी तीन बार बैठक हो चुकी है, लेकिन पंजाब और हरियाणा के अपने-अपने रुख के चलते कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। अब देखना होगा कि चौथी बैठक में कोई सकारात्मक दिशा निकलती है या नहीं। SC पंजाब के इन 2 फैसलों को रद्द कर चुका
सुप्रीम कोर्ट पंजाब के दो फैसलों को रद्द कर चुका है। पहला फैसला जल समझौते रद्द करने का कानून था, जिसे रेफरेंस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया। दूसरा फैसला पंजाब ने एसवाईएल नहर के लिए अधिग्रहित जमीन किसानों को लौटाने का किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है और रिसीवर नियुक्त किया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका, अनुपालना होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में स्पष्ट किया हुआ है कि एसवाईएल नहर बनाने की डिक्री सुप्रीम कोर्ट ने की हुई है। इस डिक्री की अनुपालना होनी चाहिए। पंजाब ने पानी की अनुपलब्धता का मामला उठाया तो सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि एसवाईएल नहर का पानी की उपलब्धता से संबंध नहीं है। हरियाणा में एसवाईएल नहर बन चुकी है, पंजाब में भी कुछ सीमा तक बनी हुई है। पिछले दिनों केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल चंडीगढ़ पहुंचे थे। तब पाटिल ने कहा था कि दोनों राज्यों के साथ बातचीत कर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार आपसी सहमति से समाधान निकालने का प्रयास करेंगे। मीटिंग से पहले हरियाणा में SYL पर सियासत शुरू… हुड्डा बोले- अवमानना याचिका दायर करे सरकार
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने SYL को लेकर होने वाली प्रस्तावित बैठक पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को अब इन बैठकों के दौर से आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला लंबे टाइम पहले हरियाणा के पक्ष में आ चुका है। हरियाणा के हिस्से का पानी दिलवाने की जिम्मेदारी कोर्ट ने केंद्र सरकार को सौंपी थी। हरियाणा और केंद्र दोनों जगह, बीजेपी की सरकार है। ऐसे में अब तक हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिल जाना चाहिए था, लेकिन बीजेपी के हरियाणा विरोधी रवैये के चलते यह नहीं हो पाया। अब अगर सरकार इसके बारे में बात कर रही है तो उसे सीधे कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मुकदमा दायर करना चाहिए। INLD विधायक बोले- मान होश में आएं
एसवाईएल को लेकर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बुधवार को केंद्रीय मंत्री के साथ होने वाली बैठक पर प्रतिक्रिया देते हुए रानियां से इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इस बैठक में होश में आएं, शराब पी कर न आएं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान जो कहते हैं कि यह पंजाब का पानी है, किसी को नहीं देंगे, वो कौन से कुएं से एसवाईएल का पानी खोद कर लाए हैं। एसवाईएल का पानी तो सियाचिन ग्लेशियर से आता है, तो यह पंजाब का पानी कैसे हुआ? पानी एक प्राकृतिक संसाधन है जिस पर किसी राज्य का नहीं बल्कि पूरे देश का अधिकार होता है। मई में सुप्रीम कोर्ट ने सुलह के लिए कहा था
मई में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से पंजाब और हरियाणा को मामले को सुलझाने के लिए केंद्र के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले जल शक्ति मंत्री को इस मामले में मुख्य मध्यस्थ नियुक्त किया था और उनसे कहा था कि वे केवल ‘मूक दर्शक’ बने रहने के बजाय सक्रिय भूमिका निभाएं। यहां पढ़िए क्या है पूरा मामला.. 1982 से ठंडे बस्ते में है SYL
यह मामला 214 किलोमीटर लंबी SYL नहर के निर्माण से संबंधित है, जिसमें से 122 किलोमीटर पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में बनाई जानी थी। हरियाणा ने अपना हिस्सा पूरा कर लिया, जबकि पंजाब ने 1982 में इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यह मामला 1981 का है, जब दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे पर समझौता हुआ था और बेहतर जल बंटवारे के लिए एसवाईएल नहर बनाने का निर्णय लिया गया था। पंजाब के कानून को खारिज कर चुका सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया और पंजाब से समझौते की शर्तों के अनुसार नहर बनाने को कहा, लेकिन पंजाब विधानसभा ने 2004 में 1981 के समझौते को खत्म करने के लिए एक कानून पारित किया। 2004 के पंजाब के इस कानून को 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। तब से यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में अटका हुआ है। अब 13 अगस्त को अगली सुनवाई की तारीख तय है।
लास्ट डेट पर सुप्रीम कोर्ट लगा चुका पंजाब को फटकार
6 मई को इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट जस्टिस गवई ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि यह मनमानी नहीं तो क्या है? नहर बनाने का आदेश पारित होने के बाद, इसके निर्माण के लिए अधिगृहीत जमीन को गैर-अधिसूचित कर दिया गया। यह कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने की कोशिश है। यह मनमानी का स्पष्ट मामला है। इससे तीन राज्यों को मदद मिलनी चाहिए थी। परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था और फिर उसे गैर-अधिसूचित कर दिया। हरियाणा को 19,500 करोड़ का नुकसान
सतलुज यमुना लिंक (SYL) के न बनने से हरियाणा को अब तक 19 हजार 500 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। 46 साल से सिंचाई का पानी नहीं मिलने से दक्षिण हरियाणा की 10 लाख एकड़ कृषि भूमि बंजर होने के कगार पर पहुंच गई है। सबसे अहम बात यह है कि पानी के अभाव में राज्य को हर साल 42 लाख टन खाद्यान्न का भी नुकसान हो रहा है। दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई मुलाकात के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यह आंकड़े रखे थे। पूर्व सीएम ने बताया था कि यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में एसवाईएल बन जाती तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों और दूसरे अनाजों का उत्पादन कर सकता है।