किन्नौर में सूरत नेगी ने सरकार पर उठाए सवाल:वन निगम के पूर्व उपाध्यक्ष बोले-साक्ष्य मिटाने वालों को उच्च पदों पर बैठाया जा रहा

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में प्रदेश वन निगम के पूर्व उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने दिवंगत इंजीनियर विमल नेगी की मौत मामले पर हिमाचल सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। नेगी ने आरोप लगाया कि सरकार का रवैया शुरू से ही निंदनीय रहा है। उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद शिमला के एसपी संजीव गांधी को मेडिकल लीव पर भेजा गया। देशराज को सस्पेंड कर दिया गया। ओंकार शर्मा को भी मेडिकल लीव पर भेजा गया। रिकांगपिओ में मीडिया से बातचीत के दौरान सूरत नेगी ने कहा कि विमल नेगी मामले में जिस अधिकारी ने निष्पक्ष जांच की और जो हिमाचल में एक ईमानदार अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं, उस ओंकार शर्मा से सारे विभाग छीन लिए गए। लेकिन जो अधिकारी साक्ष्य मिटाने का काम कर सकते हैं, उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जा रहा है। एसपी शिमला को वापस उसी पद पर भेजा : नेगी सूरत नेगी ने बताया कि विमल नेगी मामले में कोर्ट से जमानत पर रिहा हुए अधिकारी को चीफ इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी के पद पर तैनात किया गया है। इसी तरह एसपी शिमला संजीव गांधी को भी कुछ दिन मेडिकल लीव पर भेजने के बाद वापस उसी पद पर तैनात कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि एसपी शिमला को वापस उसी पद पर लाने के लिए किन्नौर के विधायक एवं सरकार के मंत्री जगत सिंह नेगी स्वयं मुख्यमंत्री से मिले थे। नेगी ने कहा कि देशराज को चीफ इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी और संजीव गांधी को एसपी शिमला तैनात करने से स्पष्ट है कि सरकार नहीं चाहती कि स्वर्गीय विमल नेगी को न्याय मिले। सूरत नेगी के अनुसार सरकार विमल नेगी के साक्ष्य मिटाने वालों को उच्च पदों पर बैठा रही है, जबकि ईमानदारी से तथ्यों को सामने लाने वाले ओंकार शर्मा को घर बैठाकर रखा है और कोई पोर्टफोलियो नहीं दिया गया है। उन्होंने मांग की है कि जब दोनों अधिकारियों को तैनात कर दिया गया है तो ओंकार शर्मा को भी उसी तरह पोर्टफोलियो दिया जाना चाहिए।

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