कॉन्ट्रैक्ट किलिंग इंडस्ट्री-7 महीने में 1436 मर्डर:अफेयर में पत्नियां दे रहीं पति की सुपारी, राजनीतिक दुश्मनों को ठिकाने लगा रहे शूटर, हर तीसरी हत्या कॉन्ट्रैक्ट पर

वर्चस्व, राजनीति , लव अफेयर हो या जमीन का मामला… सबमें कॉन्ट्रैक्ट किलिंग। अपराधी जेल में हो या फिर बाहर, 2 हजार रुपए एडवांस से लेकर 10 लाख रुपए तक लेकर मर्डर करवा रहे हैं। सुपारी की कीमत हैसियत के मुताबिक तय हो रही है। बिहार में बढ़ती कॉन्ट्रैक्ट किलिंग इंडस्ट्री के बावजूद पुलिस मुख्यालय के पास इससे जुड़ा आंकड़ा नहीं है। भास्कर ने सभी 38 जिले, 2 पुलिस जिला और 4 रेल जिलों के 1,380 थाना में इस साल दर्ज हत्या की केस का एनालिसिस किया। इसमें पता चला कि करीब 30 फीसदी हत्या सुपारी देकर कराई गई। इस साल एक जनवरी से 30 जून तक 1,376 हत्याएं हुई है। इसके अलावा जुलाई में 1 से 22 जुलाई तक करीब 60 से अधिक हत्याएं हुई हैं। इसमें पटना में 11 हत्याएं शामिल हैं। जिसमें से 4 मर्डर कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के जरिए हुई है। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए और देखिए, वर्चस्व, लव अफेयर, राजनीति और जमीन विवाद तक में कैसे कॉन्ट्रैक्ट किलिंग हो रही है? 17 जुलाई की सुबह पटना के पारस हॉस्पिटल में एडमिट बक्सर के गैंगस्टर चंदन मिश्रा को गोलियों से भून दिया गया। फुलवारी शरीफ के रहने वाले अपराधी तौसीफ राजा ऊर्फ बादशाह ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया था। कोलकाता से इसे साथियों के साथ पकड़ा गया। इसकी हत्या के लिए पश्चिम बंगाल के जेल में बंद कुख्यात अपराधी शेरू सिंह ने 4 लाख रुपए की सुपारी दी थी। हालांकि, SSP ने कहा कि जांच में इसके सबूत अभी नहीं मिले हैं। बताया जाता है कि अपने पिता और खुद के इलाज को लेकर ज़ब चंदन पैरोल पर बाहर आया तो शेरू को लगा कि यदि ये बाहर आ गया तो हमारा वर्चस्व खत्म हो जाएगा। चंदन के रील और वीडियो देखकर उसे इस बात का एहसास हुआ। पैरोल के दौरान चंदन के साथ काफी संख्या में लोग मिलने आ रहे थे, जिसका वीडियो भी सामने आ रहा था। यही उसकी हत्या का कारण बना। पूछताछ में तौसीफ ने बताया है- गोली मारने के‎ बाद चंदन मिश्रा को हिला-डुला कर‎ देखा कि वह मर गया है या नहीं?‎ इसके बाद अपने मोबाइल से वीडियो‎ बनाया और उसके बाद वहां से भागा।‎ 4 जुलाई की देर रात पटना के गांधी मैदान इलाके में घर के गेट पर ही बड़े कारोबारी गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जांच करते हुए पटना पुलिस ने शूटर उमेश यादव और साजिश कर्ता बिल्डर अशोक साह को गिरफ्तार किया था। दोनों से पूछताछ और पुलिस की जांच के बाद 4 लाख रुपए की सुपारी देकर हत्या कराने की बात सामने आई। अब तक की जांच में स्पष्ट हो गया है कि खेमका की हत्या जमीन की खरीद-बिक्री के विवाद में ही हुई है। लोहा कारोबारी अशोक साव जमीन की खरीद-बिक्री करता था। उसने पुलिस को बताया, ‘जब भी हम किसी जमीन को खरीदने की बात करते थे तो गोपाल भी उसमें शामिल हो जाते थे। वह मेरा रेट बिगाड़ देते थे और जमीन खरीद लेते थे। ऐसा उन्होंने कई बार किया। इससे मेरा काम तो बिगड़ ही रहा था, समाज में मेरी प्रतिष्ठा भी धूमिल हो रही थी। इसी कारण उनकी हत्या की साजिश रची। उमेश को 9 एमएम की पिस्टल देकर उनकी हत्या करवा दी।’ गोपाल खेमका भी जमीन की खरीद-बिक्री में शामिल थे, यह जानकारी पुलिस को मिली है। औरंगाबाद के नबीनगर में 24 जून को प्रियांशु उर्फ छोटू सिंह के सिर में चार गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 10 मई को प्रियांशु की शादी गुंजा सिंह से हुई थी। हत्याकांड के 7 दिनों के बाद यानी 2 जुलाई को पुलिस ने प्रियांशु की हत्या के आरोप में उसकी पत्नी गुंजा को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि हत्याकांड में शामिल गुंजा के फूफा जीवन सिंह को 25 जुलाई को राजस्थान के सवाई माधोपुर से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में गुंजा ने बताया था, ‘फूफा जीवन सिंह से पिछले 15 सालों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों के बीच अवैध संबंध भी था।’ अपने कबूलनामा में गुंजा ने बताया था कि प्रियांशु के साथ उसे शादी नहीं करनी थी। शादी फिक्स होने के बाद प्रेमी फूफा ने अपनी जान देने की बात कही थी। उसने बताया था कि शादी वाले दिन से ही मैंने अपने फूफा जीवन सिंह के साथ मिलकर प्रियांशु की हत्या की साजिश रचनी शुरू की थी। गुंजा के मुताबिक, फूफा जीवन ने दो शूटर्स को 5 लाख रुपए में प्रियांशु की हत्या के लिए हायर किया था। 21-22 जून को शूटर्स झारखंड से आकर प्रियांशु का पीछा करने लगे थे। 22 जून को जब प्रियांशु बाजार गया था, तो उसकी हत्या की कोशिश की गई थी, लेकिन भीड़ होने की वजह से प्रियांशु की हत्या नहीं हो पाई थी। कबूलनामा के मुताबिक, 23 जून को प्रियांशु अपने रिश्तेदार के पास वाराणसी गया था। वहां से 24 जून की शाम को स्टेशन लौटा, तो अपने चचेरे भाई और एक अन्य को बाइक लेकर बुलाया। जब तीनों बाइक से घर लौट रहे थे, तभी दोनों शूटर्स को मैंने प्रियांशु का लाइव लोकेशन दिया। इसके बाद दोनों शूटर्स ने नबीनगर के लेंबोखाप गांव के पास बाइक रुकवाकर प्रियांशु के सिर में चार गोलियां मारकर उसकी हत्या कर दी थी। मामले में दो और लोगों को अरेस्ट किया गया है, जिनकी पहचान जयशंकर चौबे और मुकेश शर्मा के रूप में हुई है। इन दोनों ने शूटर्स को मोबाइल और सिमकार्ड उपलब्ध कराया था। फिलहाल, आरोपी जीवन सिंह को औरंगाबाद पुलिस अपने कब्जे में लेने के लिए राजस्थान के सवाई माधोपुर गई है। 12 जुलाई की रात पटना के पिपरा थाना के तहत शेखपुरा गांव में भाजपा कार्यकर्ता सुरेंद्र प्रसाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के 11वें दिन इस कांड का पटना सिटी एसपी ईस्ट परिचय कुमार ने खुलासा किया। 23 जुलाई को अपने खुलासे में पटना पुलिस ने बताया कि हत्या के लिए 2 लाख रुपए की सुपारी दी गई थी। महज 2 हजार रुपए एडवांस पर ही रतन कुमार ने हत्या कर दी। एसपी ने बताया कि इस हत्या के पीछे स्थानीय राजनीतिक रंजिश का एंगल सामने आया है। सुरेंद्र प्रसाद गांव में सक्रिय भाजपा कार्यकर्ता थे और स्थानीय स्तर पर कुछ राजनीतिक मतभेद चल रहे थे। ग्रामीण स्तर की राजनीति में वर्चस्व के लिए सुरेंद्र की हत्या कराई गई थी। इसमें दो लोगों को नामजद किया गया। इसमें रंजीत पासवान और पूर्व मुखिया जय प्रकाश पासवान का नाम शामिल है। पुलिस को फ्री हैंड छोड़ना होगा रिटायर्ड IPS अरविंद ठाकुर कहते हैं, ‘कॉन्ट्रैक्ट किलिंग पहले भी होती थी। पर वर्तमान में इसके मामले बढ़ गए हैं। इनके अनुसार इसे रोकने के लिए दो कदम उठाने होंगे। पहला- पुलिस को ऐसे अपराधियों की पहचान कर उन्हें अपने हिट लिस्ट में रखना होगा। उनके अंदर डर पैदा करना होगा। दूसरा- पुलिस को फ्री हैंड देना होगा। पुलिस को पूरी तरह से क्राइम कंट्रोल के लिए लगाना चाहिए। शराब और बालू के अवैध धंधों के कार्रवाई के लिए अलग-अलग एजेंसी बनी हुई है। इस पर उन्हें ही काम करना चाहिए। थानेदार से लेकर एसपी तक जब फ्री हैंड रहेंगे तो क्राइम कंट्रोल के लिए अच्छे से काम कर पाएंगे। वहीं, सीनियर जर्नलिस्ट अमिताभ ओझा बताते हैं, ‘कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का काम पहले भी होता था, पर इतना पेशेवर तरीके से नहीं होता था। कुछ दिनों से ये ट्रेंड बन गया है कि बड़े माफिया और सफेदपोश खुद कुछ नहीं कर रहे हैं। वो कॉन्ट्रैक्ट पर किलर्स हायर कर रहे हैं। आमतौर पर दिल्ली और मुम्बई जैसे मेट्रो पोलिटन सिटी में ऐसा हुआ करता था। वहां के लोग सुपारी देकर हत्या कराते थे। बड़े-बड़े गैंगस्टर शूटर्स रखते थे। अब ये ट्रेंड बिहार में आ चुका है।’ —————- ग्राफिक- सौरभ कुमार ——————– ये भी पढ़ें… 10 लाख में पति -4 लाख में कारोबारी का मर्डर:बिहार में बढ़ रही ‘कॉन्ट्रैक्ट किलिंग इंडस्ट्री’, नए लड़कों को किलर बना रहे गैंगस्टर, 150 शूटर हिट लिस्ट में ‘भाजपा और नीतीश कुमार ने मिलकर बिहार को भारत की क्राइम कैपिटल बना दिया है।’ पटना के बिजनेसमैन गोपाल खेमका की हत्या पर राहुल गांधी की इस टिप्पणी ने लॉ एंड ऑर्डर पर बहस छेड़ दी। पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के मुताबिक, इस साल 1 जनवरी से 30 जून तक पूरे बिहार में 1,376 यानी हर महीने 229 हत्याएं हुईं हैं। मर्डर के पैटर्न को देखें तो यह पता चला रहा है कि बिहार में धीरे-धीरे कंट्रैक्ट किलिंग की इंडस्ट्री खड़ी हो रही है। पूरी खबर पढ़िए

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