EC ने कोर्ट में कहा-पॉलिटिकल पार्टी कहानी गढ़ रही:नियम का पालन हुआ, आरोप गलत- झूठे; पूरे देश में कराएंगे SIR

सुप्रीम कोर्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों पर सहयोग करने की बजाय जनता की धारणा को बहकाने का आरोप लगाया है। आयोग ने कहा, कुछ पार्टियां चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद करने की बजाय केवल एक कहानी गढ़ने पर फोकस किया। आयोग ने मतदाताओं के नाम मनमाने ढंग से मतदाता सूची से हटाए जाने के आरोपों से इनकार किया। आयोग ने ऐसे दावों को झूठा और भ्रामक बताया। आयोग ने दावा किया कि SIR के दौरान वोटर्स के नाम मनमाने ढंग से नहीं, बल्कि उचित सत्यापन प्रक्रिया के तहत हटाए गए हैं।
आयोग ने एक याचिकाकर्ता के हलफनामे को भी झूठा बताया, जिसमें दावा किया गया था कि ड्राफ्ट रोल में शामिल होने के बाद उसका नाम हटा दिया गया। वहीं सुप्रीम कोर्ट में SIR पर सुनवाई से पहले चुनाव आयोग ने अदालत में हलफनामा दिया है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करके कहा कि बिहार के बाद पूरे देश में SIR जल्द शुरू होगा। 7 अक्टूबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में SIR के खिलाफ वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि आयोग ने मतदाता सूची को साफ करने के बजाय, समस्या को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा, इसमें पारदर्शिता का भी अभाव है। चुनाव आयोग ने दिशानिर्देशों के अनुसार जानकारी अपलोड नहीं की है। सुनवाई के दौरान 65 व्यक्तियों की एक लिस्ट पेश की और कहा कि वे हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। वहीं, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘आपके माननीयों ने उन्हें 65 लाख नामों की सूची देने के लिए मजबूर किया, लेकिन जिन 3.66 लाख लोगों का नाम हटाए गए हैं, उनमें से किसी को भी नोटिस नहीं मिला है। इसपर कोर्ट ने कहा, ‘हमने निर्देश दिया था कि सभी जिलों में नामों को बोर्ड पर लगाया जाएगा। जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा, ‘ऐसा नहीं किया गया है।’ कोर्ट ने आयोग से पूछा- क्या 3.66 लाख लोगों में से जिसे नोटिस नहीं मिला क्या वो शिकायत लेकर आगे आया है? इस चुनाव आयोग ने कहा- नहीं, किसी ने कोई शिकायत नहीं की है। इसके बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3.66 लाख वोटर्स की जानकारी देने के निर्देश दिए। इसपर आयोग ने कहा, ‘फाइनल लिस्ट में ज्यादातर नए मतदाता जोड़े गए हैं। इनमें कुछ पुराने नाम भी शामिल हैं।’ कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि जो भी उपलब्ध जानकारी है, उसे गुरुवार शाम (9 अक्टूबर) तक अदालत में पेश करे।
हमने फाइनल लिस्ट के बाद एनालिसिस की है- भूषण प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा- ‘अंतिम सूची आने के बाद, हम कुछ विश्लेषण कर पाए हैं। हमने SIR के लिए चुनाव आयोग के 2003 के दिशानिर्देश देखे हैं और 2016 के एक और दिशानिर्देश, जिसमें फर्जी मतदाताओं को हटाने के तरीके वगैरह बताए गए हैं। हमने अभी लिखित कॉपी सौंपी हैं। उस पर चर्चा करने से पहले, मैं चाहता हूं कि योगेंद्र यादव को 10 मिनट का समय दें ताकि वे SIR के कारण महिलाओं, मुसलमानों आदि के अनुपातहीन बहिष्कार की वास्तविक पृष्ठभूमि बता सकें। जे. कांत: कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आप आगे कैसे बढ़ना चाहते हैं? SIR की वैधता पर या…?’ बिहार SIR पर टुकड़ों में राय नहीं दे सकता- SC इससे पहले 15 सितंबर को सुनवाई हुई थी। इस दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि चुनाव आयोग प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा है। नियमों की अनदेखी हो रही है। इस पर कोर्ट ने कहा- हम यह मानकर चलेंगे कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारियों को जानता है। अगर कोई गड़बड़ी हो रही है, तो हम इसको देखेंगे। अगर बिहार में SIR के दौरान चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली में कोई अवैधता पाई जाती है, तो पूरी प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है। पिछली सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत शर्मा और जस्टिस बागची की बेंच ने स्पष्ट किया कि वह बिहार SIR पर टुकड़ों में राय नहीं दे सकता। उसका अंतिम फैसला केवल बिहार में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में SIR पर लागू होगा। SIR पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की सारे अपडेट्स जानने के लिए नीचे ब्लॉग से गुजर जाइए….

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