बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले बनी पार्टी जनसुराज ने सबसे पहले अपने कैंडिडेट की घोषणा कर दी है। नॉमिनेशन की प्रक्रिया शुरू से एक दिन पहले पार्टी ने पहली लिस्ट में 51 कैंडिडेट के नाम जारी किए हैं। इस लिस्ट में वकील से लेकर गणितज्ञ और डॉक्टर और भोजपुरी गायक के साथ किन्नर को भी जगह दी गई है। ये 51 कैंडिडेट 26 जिलों के विधानसभा के लिए जारी किए गए हैं यानि कि पहली ही लिस्ट में 70 फीसदी राज्य को कवर कर लिया गया है। पहली लिस्ट में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी के अलावा जनसुराज बनाने वाले लोगों को तवज्जो दी गई है। 95 फीसदी उम्मीदवार पार्टी की स्थापना के समय से ही पार्टी से जुड़े रहे हैं। उम्र के लिहाज से देखें तो गया के इमामगंज के 30 साल के डॉ. अजीत कुमार सबसे युवा और 72 साल के डॉ अरुण कुमार सबसे उम्रदराज कैंडिडेट हैं। वहीं, 4 से 5 कैंडिडेट जदयू-बीजेपी छोड़कर जनसुराज में आए हैं। मुखिया, प्रमुख जैसे लोकल नेता को सबसे ज्यादा टिकट जनसुराज की पहली लिस्ट में प्रशांत किशोर ने न केवल नेताओं की छवि का ध्यान रखा है बल्कि इलाके में लोकल लीडरशिप तैयार करने की कोशिश की है। जनसुराज की पहली लिस्ट में 14 कैंडिडेट यानि लगभग 30 फीसदी ऐसे कैंडिडेट का चयन किया गया है जो पंचायत स्तर का चुनाव जीते हैं। लिस्ट में कुल 7 मुखिया, 2 प्रमुख, 3 जिला परिषद सदस्य और 2 डिप्टी मेयर हैं जो इस चुनाव में विधायकी का चुनाव लड़ेंगे। डॉक्टर और वकील के प्रोफेशन पर भरोसा जनसुराज की पहली लिस्ट न केवल पंचायत स्तरीय नेता बल्कि प्रोफेशनल कैंडिडेट को भी जगह दी गई है। अगर लिस्ट को देखें तो दो तरह के प्रोफेशन पर विशेष फोकस किया गया है। ऐसे डॉक्टर का चयन किया गया है जो लोकल स्तर पर काफी लोकप्रिय हैं, जिनकी छवि पर किसी प्रकार का कोई दाग नहीं हो। जो लगातार सालों से समाज सेवा करते आ रहे हों। पहली ही लिस्ट में बड़े नाम को भुनाने की कोशिश कैंडिडेट के सिलेक्शन में प्रशांत किशोर ने राजनीति में शुचिता का बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है। अभी तक राजनीति से दूर रहे बिहार के लोकप्रिय चेहरों में शामिल हाईकोर्ट के वेटनर वकील वाईवी गिरी (मांझी), मशहूर गणितज्ञ और एडमिनिस्ट्रेटर केसी सिन्हा (कुम्हरार), रिटायर्ड आईजी आरके मिश्रा (दरभंगा), चीफ जस्टिस के भाई राहुल कीर्ति सिंह और भोजपुरी एक्टर रितेश पांडेय (करगहर) को टिकट देकर जनसुराज न केवल इनकी लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश कर रहा है,बल्कि इनके सहारे राज्य भर में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश भी है। टिकट बंटवारे में दिखा RCP सिंह का प्रभाव टिकट बंटवारे में अगर प्रशांत किशोर के बाद किसी नेता की चली है तो वे हैं, आरसीपी सिंह। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश के भरोसेमंद रहे आरसीपी सिंह का प्रभाव स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है। सबसे पहले तो उन्होंने अपनी छोटी बेटी लता सिंह की पॉलिटिकल डेब्यू जनसुराज से कराने में सफल रहे। इसके अलावा खगड़िया से जयंती पटेल और कई अन्य सहयोगियों को टिकट दिलाने में भी सफल रहे हैं। आरसीपी सिंह के पार्टी के जॉइन करने के दौरान उन्होंने कहा था कि आरसीपी सिंह की पार्टी में अहम भूमिका रहने वाली है। पहली लिस्ट से ये साफ तौर पर झलकने लगा है कि आरसीपी सिंह भले चुनाव नहीं लड़े लेकिन लड़वाने में यहां प्रशांत के चाणक्य साबित हो सकते हैं। आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी, सबसे ज्यादा EBC को टिकट जनसुराज की लिस्ट में बिहार की आबादी का भी विशेष ख्याल रखा गया है। सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए सबसे ज्यादा 17 टिकट EBC वर्ग को दिया गाय है। इसके बाद 11 टिकट OBC को दिया गया है। राज्य में 36 प्रतिशत ईबीसी और 27 प्रतिशत ओबीसी की आबादी है। यानी कि कुल आबादी का लगभग 63 प्रतिशत। इस लिहाज से देखें तो 51 में 28 टिकट EBC- OBC को दिया गया है। इस लिहाज से देखें तो 55 प्रतिशत टिकट इन दो कैटेगरी से दिया गया है। इसके अलावा दलित को 7, अल्पसंख्यक को 9 और जनरल कैटेगरी को 6-6 टिकट दिए गए हैं। अगर जदयू के कोर वोट बैंक लव-कुश की बात करें तो कुशवाहा के 3 और कुर्मी के 3 कैंडिडेट को टिकट दिया गया है। इतना ही टिकट यादव वर्ग को भी दिया गया है। चंपारण में बीजेपी के कोर वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से जनसुराज पार्टी की तरफ थारू समाज (आदिवासी) से आने वाले डॉ. दीर्घ नारायण प्रसाद को टिकट दिया है। यहां थारू जनजाति की आबादी एक लाख से अधिक है। इस विधानसभा में लगभग 25 हजार वोटर हैं। यह जनजाति बगहा के अलावा रामनगर और गौनाहा प्रखंड में है। बगहा की 25 पंचायतों में से 20 में इनकी बहुलता है। अभी तक इन्हें BJP का कोर वोटर माना जाता रहा है। अब जानिए PK की लिस्ट पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है बिहार का चुनावी पिच अभी प्रशांत के लिए मुश्किल सीनियर जर्नलिस्ट अमरनाथ तिवारी बताते हैं, ‘प्रशांत किशोर ने अपनी पहली लिस्ट में वाईवी गिरी केसी सिन्हा और रितेश पांडेय जैसे लोकप्रिय चेहरे पर दांव लगाया है। लोकप्रियता वोट में कन्वर्ट होगी इसकी पुख्ता गारंटी नहीं होती है। पहले भी बड़े चेहरे चुनाव हारते रहे हैं। इस लिस्ट के आधार पर ये कहा जा सकता है कि प्रशांत किशोर अभी भी बिहार की सियासत में थर्ड फ्रंट नहीं बन पाए हैं।’ जातिवाद और परिवारवाद से दूर नहीं रह पाए प्रशांत सीनियर जर्नलिस्ट अरुण कुमार पांडेय बताते हैं कि ‘पहली लिस्ट से ये स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर दोधारी तलवार साबित हो सकते हैं। ईबीसी और कुशवाहा को सबसे ज्यादा टिकट देकर एक तरफ जहां इन्होंने नीतीश कुमार को सबसे ज्यादा डेंट पहुंचाया है तो सीमांचल में मुस्लिमों को मैदान में उतार कर इन्होंने तेजस्वी यादव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। —————————- ये खबर भी पढ़िए… बिहार में जनसुराज ने जारी की 51 कैंडिडेट्स की लिस्ट:समस्तीपुर से कर्पूरी ठाकुर की पोती, नालंदा से RCP की बेटी को उतारा, गोपालगंज से किन्नर को टिकट प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने गुरुवार को 51 कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी की। पटना के शेखपुरा हाउस में जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कैंडिडेट्स का ऐलान किया। इस दौरान प्रशांत किशोर मौजूद नहीं रहे। कैंडिडेट्स के नाम के ऐलान के बाद जिन्हें टिकट नहीं मिला उन्होंने हंगामा भी किया। जनसुराज ने समस्तीपुर की मोरवा विधानसभा से कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री RCP सिंह की बेटी लता सिंह को अस्थावां से टिकट मिला है। जनसुराज ने गोपालगंज से प्रीति किन्नर को भी उतारा है। पूरी खबर पढ़िए