संत प्रेमानंद महाराज 2 अक्टूबर के बाद आज सुबह आश्रम से बाहर निकले। उन्होंने पदयात्रा के दौरान हजारों भक्तों को दर्शन दिए और उनका अभिवादन किया। भक्त प्रेमानंद महाराज की एक झलक पाकर आनंदित हो उठे और खुशी से भाव-विभोर हो गए। प्रेमानंद महाराज केली कुंज आश्रम से परिक्रमा मार्ग तक आए। दरअसल केली कुंज आश्रम की तरफ से सूचना दी गई थी कि प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को देखते हुए पदयात्रा अनिश्चितकाल तक बंद रहेगी। तब से भक्त प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित थे। रात 3 बजे निकले आश्रम से बाहर संत प्रेमानंद महाराज अचानक देर रात 3 बजे केली कुंज आश्रम से परिकर के साथ बाहर निकले। वह जैसे ही परिक्रमा मार्ग में पहुंचे, वहां उनकी एक झलक पाने को हजारों भक्त मौजूद थे। जबकि भक्तों को उनकी पदयात्रा की सूचना नहीं थी। लेकिन भक्त प्रेमानंद महाराज के जल्दी स्वस्थ होने की कामना करते हुए पदयात्रा मार्ग पर इकट्ठा होकर राधा-राधा नाम जप कर रहे थे। तभी संत प्रेमानंद महाराज को अचानक साक्षात देखकर भक्तों की आंखों से आंसू गिरने लगे। भक्त प्रेमानंद को देखते ही जोर-जोर से राधे-राधे का जयकारा लगाने लगे। आश्रम से करीब 100 मीटर पदयात्रा कर आए संत प्रेमानंद महाराज की झलक देख भक्त आनंदित हो गए। स्वास्थ्य को लेकर वायरल हो रहे थे वीडियो संत प्रेमानंद महाराज 2 अक्टूबर से पदयात्रा पर नहीं निकल रहे थे। सोशल मीडिया पर उनके स्वास्थ्य को लेकर वीडियो वायरल हो रहे थे। हालांकि संत प्रेमानंद महाराज इस दौरान एकांतिक वार्ता और राधारानी की सेवा करते उनके आश्रम के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो दिखाए जा रहे थे। डॉक्टर बोले- उनको किडनी समस्या नहीं संत प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को लेकर उड़ रही अफवाहों के बीच ऑन कॉल उनका इलाज करने वाले प्रसिद्ध नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर आशीष शर्मा ने बताया- संत प्रेमानंद महाराज ज्वलंत उदाहरण हैं इस चीज का, जिन्होंने किडनी की बीमारी को अपनाया। सब लोग जानते हैं उन्होंने अपनी दोनों किडनी का नाम राधा और कृष्ण रखा हुआ है। ये लोगों को सीख लेनी चाहिए कि उन्होंने बीमारी को अपनाया है। अब पढ़ते हैं महाराज की बीमारी के बारे में 2006 में पेट में दर्द हुआ तो पता चला किडनी खराब हैं संत प्रेमानंद महाराज को पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज की बीमारी है। उनको जानकारी 19 साल पहले 2006 में तब हुई जब उनके पेट में दर्द हुआ। वह कानपुर में डॉक्टर को दिखाने पहुंचे। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनको आनुवंशिक किडनी की बीमारी है। फिर वह दिल्ली गए। वहां एक डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनकी दोनों किडनी खराब हैं। जीवन सीमित है। इसके बाद वह वृंदावन आ गए। पहले वह काशी रहे और शिव भक्ति की। वृंदावन में उन्होंने राधा नाम का जप शुरू किया। तब से वह लगातार राधा नाम का जप कर रहे हैं। प्रेमानंद जी महाराज ने अपनी किडनी का नाम कृष्णा और राधा रखा है। सोसाइटी में ही होती है डायलिसिस संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं। इस सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं। HR 1 ब्लॉक के फ्लैट नंबर 209 और 212 उनके पास हैं। 2 BHK इन फ्लैट में से एक में वह रहते हैं जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस का इंतजाम किया हुआ है। इसी फ्लैट में उनका हफ्ते में 4 से 5 बार डायलिसिस होता है। किडनी की बीमारी से जूझ रहे संत प्रेमानंद महाराज की पहले कभी-कभी डायलिसिस होती थी। फिर यह हफ्ते में होने लगी। इसके बाद हफ्ते में कभी 3 दिन, कभी 5 दिन और कभी कभी हर दिन होती है। डायलिसिस की यह प्रक्रिया 4 से 5 घंटे चलती है। बताया जाता है कि महाराज की डायलिसिस पहले अस्पताल में होती थी। लेकिन बाद में इसके लिए मशीन और अन्य जरूरी सामान एक फ्लैट में ही रखवा दिया गया। जहां डॉक्टर उनकी डायलिसिस करते हैं। डायलिसिस के दौरान आधा दर्जन डॉक्टर की टीम वहां मौजूद रहती है। ऑस्ट्रेलिया से आकर कर रहे महाराज जी की सेवा संत प्रेमानंद महाराज की चिकित्सा सेवा के लिए कई डॉक्टर उनके भक्त बन गए। ऑस्ट्रेलिया में हार्ट स्पेशलिस्ट एक डॉक्टर इस कदर प्रभावित हुए कि वह अपनी प्रोफेसर पत्नी के साथ वहां से नौकरी छोड़कर वृंदावन आ गए और यहां की एक सोसायटी में फ्लैट लेकर रहने लगे। यह डॉक्टर प्रतिदिन महाराज जी की चिकित्सा सेवा में जाते हैं और उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं। ——————– ये खबर भी पढ़िए- यूपी में बिक रहा नकली आलू: पुराने आलू को केमिकल में डालकर तैयार कर रहे, एक किलो पर 20 रुपए मुनाफा कमा रहे अगर आप नया आलू खरीद रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। नए आलू के नाम पर धड़ल्ले से जहरीला आलू बिक रहा। बाजारों में ऐसे आलू करीब 50 रुपए किलो के रेट पर मिल रहा है। मतलब 30 रुपए किलो का आलू 20 रुपए मुनाफे पर बेचा जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर…