पंजाब के लुधियाना में गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में आज छात्रों का धरना 19वें दिन में शामिल हो गया। प्रशिक्षुओं ने विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा अस्पताल में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रखा। यूनिवर्सिटी के प्रबंधक और छात्र आमने-सामने हो गए है। आज 13 अक्तूबर से गडवासू इंटर्न ओपीडी सेवाएं भी ठप रही। मौके पर पुलिस अधिकारी फोर्स के साथ पहुंचे जिन्होंने छात्रों को ओपीडी खोलने के लिए कहा लेकिन छात्रों ने सरकार और यूनिवर्सिटी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पुलिस अधिकारियों के साथ छात्रों की कहासुनी भी हो गई। सब-इंस्पेक्टर आदित्य शर्मा सीनियर अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे थे। भत्ता दे सरकार तो समाप्त करेंगे हड़ताल छात्र तरुणप्रीत सिंह बराड़ ने कहा कि वह ओपीडी तो खोल देंगे लेकिन पहले यूनिवर्सिटी के अधिकारी उनके बीच आकर बताए कि अभी तक उन्होंने उनकी मांगों को लेकर क्या जमीनी स्तर पर काम किया। पूरे पंजाब के पशुओं का वह इलाज करते है। 140 स्टूडेंट उनके पास है। दिन रात शिफ्टों में काम किया जाता है। हम फीस देकर यहां आते है और रिसर्च करते है लेकिन हमें हमारा भत्ता नहीं दिया जा रहा। सरकार भत्ता दे तो हम हड़ताल समाप्त कर देंगे। फिलहाल अभी स्टूडेंट के प्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों और यूनिवर्सिटी के प्रबंधकों में बैठक चल रही है। रिक्त पदों को भरने की मांग संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि पिछले सप्ताह प्रमुख सचिव (वित्त) के साथ बैठक के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। डा. कमलप्रीत सिंह ने कहा पंजाब द्वारा कृषि विभाग और इससे जुड़े अन्य विभागों में रिक्त पदों को भरा जाए। छात्र नेताओं ने कहा कि अभी तक न तो पंजाब सरकार का कोई प्रतिनिधि और न ही कोई अधिकारी धरना स्थल पर पहुंचा है। इससे साफ है कि सरकार को न तो कृषि की चिंता है और न ही उन छात्रों की, जो रातें सड़कों पर बिता रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार कृषि को मजबूत करने की बातें करती है, तब कृषि और बागवानी से जुड़े विभागों में पद खाली पड़े हैं। इंटर्न के वजीफा बढ़ाकर 24,310 करने की मांग छात्रों की मुख्य मांग इंटर्न के वजीफे को 15,000 से बढ़ाकर 24,310 करने की है, उनका कहना है कि पड़ोसी राज्यों में वजीफा काफी अधिक है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वजीफा विश्वविद्यालय और आईसीएआर द्वारा वित्त पोषित है, लेकिन पंजाब सरकार कोई योगदान नहीं देती है। इसके अतिरिक्त, छात्रों ने स्नातकोत्तर (एमवीएससी) विद्वानों के बारे में चिंता जताई, जो सर्जरी, मेडिसिन, गायनोकोलॉजी और गैर-नैदानिक विभागों जैसे विशेषज्ञताओं में हैं, जिन्हें कोई वजीफा नहीं मिलता है।