भास्कर न्यूज | जालंधर कैंटोनमेंट बोर्ड फ्रेश कचरे की प्रोसेसिंग शुरू करेगा। इसके लिए 2.15 करोड़ रुपए भी मिल चुके हैं, और कैंट बोर्ड ने मशीनरी की खरीद का काम शुरू कर दिया है। कैंट एरिया में रोज 25 टन कचरा घरों से निकलता है। अब ट्रेंचिंग ग्राउंड पर वाहनों से पहुंचने वाले फ्रेश कचरे की प्रोसेसिंग होगी। ऐसा होने से ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कूड़े का पहाड़ भी नहीं बनेगा। मालूम हो कि कैंट एरिया में सात वार्ड में 50 हजार की आबादी है। कैंट में 35 ई-रिक्शा और 15 वाहनों से कचरे की लिफ्टिंग का काम होता है। वाहनों से कचरे को टचिंग ग्राउंड पर डंप किया जाता है। निगम के सात वार्ड से रोज 20 से 25 टन कचरा निकलता है। टंचिंग ग्राउंड में कचरे की प्रोसेसिंग का काम होता है, अभी रोज के फ्रेश कचरे की प्रोसेसिंग नहीं होता है। इसलिए फ्रेश कचरे को पहले सूखना होता है। इस वजह से ट्रेंचिंग ग्राउंड में कूड़े का पहाड़ बन जाता है। इसलिए कैंट बोर्ड ने फ्रेश कचरे की प्रोसेसिंग को प्लांट लगाने का काम शुरू किया है। इसके लिए मशीनरी भी खरीदने का काम शुरू कर दिया है। वहीं, हार्टिकल्चर वेस्ट, हर पत्ते, सूखे पत्ते और टहनियां को काटने को मशीन भी खरीदी जाएगी। इस संबंध में सीईओ ओमपाल सिंह ने कहा िक चंडीगढ़ से 2.15 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली है। एमआरएफ शेड भी बनने जा रही छावनी में एमआरएफ (मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) शेड बनाने का काम भी होगा। यहां पर कचरे से खाद बनाने का काम भी होगा। एमआरएफ शेड में निर्धारित समय के लिए कचरे को रखा जाएगा। जहां पर कचरे से खाद बनाने का काम होगा।