बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए AIMIM ने टिकट वितरण के लिए एक नया नियम लागू किया है। अब दावेदारों को बायोडाटा के साथ खुदा या ईश्वर को साक्षी मानकर वफादारी की कसम भी खानी होगी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि यह कदम 2020 के विधानसभा चुनाव में पांच में से चार विधायकों के राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होने के बाद उठाया गया है। पार्टी इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। इसके तहत, टिकट चाहने वालों को एक हलफनामा भरना होगा और दो गवाहों की मौजूदगी में शपथ लेनी होगी। शपथ में उम्मीदवार को यह वचन देना होगा कि वे पार्टी छोड़कर नहीं जाएंगे, और यदि टिकट नहीं मिला तो न तो बगावत करेंगे और न ही पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ काम करेंगे। ईश्वर को साक्षी मानकर लेना होगा शपथ शपथ का प्रारूप है: “मैं खुदा/ईश्वर को साक्षी मानकर शपथ लेता हूं कि मैं एआईएमआईएम का सदस्य हूं। मैंने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी बनने का दावा पेश किया है। यदि पार्टी मुझे टिकट देती है, तो मैं वफादार रहकर जीत हासिल करूंगा और हमेशा पार्टी में रहूंगा। यदि मुझे टिकट नहीं मिलता, तो मैं बगावत नहीं करूंगा और पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार का समर्थन करूंगा।” 32 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी एआईएमआईएम इस बार बिहार में 32 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। अब तक लगभग 200 दावेदारों ने विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से टिकट के लिए अपने बायोडाटा जमा किए हैं। सभी दावेदारों के लिए पहले शपथ की प्रक्रिया से गुजरना अनिवार्य है। बता दें कि अभी तक कुल 29 लोगों ने शपथ ली है। जिसमें बहादुरगंज विधानसभा प्रत्याशी तौसीफ आलम, प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान, राष्ट्रीय प्रवक्ता आदिल हसन सहित कई अन्य लोग भी शामिल है। पार्टी का यह कदम न केवल वफादारी सुनिश्चित करने का प्रयास है, बल्कि संगठन को भीतरघात से बचाने की रणनीति भी है। इस अनोखी शर्त ने बिहार की राजनीति में एक नई चर्चा छेड़ दी है।