बिहार के चुनावी समर में भाजपा-JDU के NDA ने सभी 243 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। इसमें गठबंधन ने सवर्णों और OBC को साधने का पूरा प्रयास किया है। 243 में से 162 कैंडिडेट सवर्ण और OBC तबके से हैं। इसमें सबसे ज्यादा फॉरवर्ड समाज से हैं। 85 कैंडिडेट। आखिर क्या कारण है कि 10.56% आबादी वाले फॉरवर्ड को NDA ने 35% टिकट दी और बाकी समाज को कितने टिकट मिले; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में…। सवाल-1ः NDA ने अब तक कितनी सीटों पर प्रत्याशी का ऐलान किया है? जवाबः NDA में 5 पार्टियां BJP, JDU, LJP(R), HAM और RLM है। BJP-JDU 101-101, LJP(R) 29 और HAM-RLM 6-6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 16 अक्टूबर की शाम तक NDA ने सभी 243 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान किया है। सवाल-2ः NDA ने किस तरह सामाजिक समीकरण साधा है? जवाबः NDA के 243 कैंडिडेट के जातीय समीकरण से समझिए… सवाल-3: NDA की सभी 5 पार्टियों का जातीय समीकरण क्या है? जवाब: NDA की पार्टियों के हिसाब से जातीय समीकरण… 1. भाजपा: आधे उम्मीदवार फॉरवर्ड, 21 राजपूतों को टिकट 2. JDU: हर तीसरा कैंडिडेट पिछड़े तबके से, 4 मुस्लिमों को भी टिकट 3. LJP(R): चिराग की लिस्ट में 8 दलित, 10 फॉरवर्ड 4. HAM: जीतन ने 4 दलित और 2 भूमिहारों को टिकट दिया जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) 6 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली है। उन्होंने सभी सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। इसमें 4 दलित और 2 भूमिहार यानी फॉरवर्ड समाज से हैं। 5. RLM: उपेंद्र ने उतारे 2 फॉरवर्ड और 3 कुशवाहा कैंडिडेट उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उन्होंने सभी सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। इसमें 2 फॉरवर्ड (1 राजपूत, 1 भूमिहार) और 4 OBC समाज से हैं। जिसमें 3 कुशवाहा और एक वैश्य समाज से भूषण चौधरी प्रत्याशी हैं। सवाल-4: NDA में सवर्णों और पिछड़ों को ज्यादा टिकट क्यों? जवाबः NDA के टिकट बंटवारे को देखें तो सबसे ज्यादा करीब 35% कैंडिडेट फॉरवर्ड समाज से आते हैं। इसके बाद पिछड़ा मतलब OBC से करीब 31.2% कैंडिडेट हैं। अब सवाल है कि NDA ने फॉरवर्ड और पिछड़ा कार्ड क्यों खेला? दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि यह समाज NDA का कोर वोट बैंक है। इसे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज यानी CSDS के विधानसभा चुनाव-2020 के पोस्ट पोल सर्वे के डेटा से समझिए। पहले फॉरवर्ड समाज का वोटिंग पैटर्न देखिए… अब OBC की 3 जातियों का वोटिंग पैटर्न देखिए… अब इसे पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार से समझिए… पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार बताते हैं ‘अपर कास्ट NDA का कोर वोटर है। नीतीश कुमार और भाजपा 20 साल से इनको साधकर ही सत्ता पर काबिज है। कुछ सालों से NDA शासन काल में अपर कास्ट अपने को उपेक्षित महसूस कर रहा है। उनके अंदर नाराजगी भी बढ़ी है। इसी नाराजगी को भुनाने की कोशिश प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव टिकट बांटकर कर रहे हैं। इसका डर भी भाजपा को है।’ अभिरंजन कुमार बताते हैं, ‘जब टिकट का बंटवारा होता है तो एक परसेप्शन बनाया जाता है कि भाजपा सबसे अधिक सवर्णों को टिकट देती है, यह बात ठीक नहीं है। इसको आपको डेटा से समझना होगा। बिहार में सवर्णों (भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ) की आबादी 10.52% है। इसे भाजपा का कमिटेड वोटर माना जाता है। पिछले 4 चुनावों में भाजपा को वोट शेयर 16 से 18% के बीच है। 2015 चुनाव को छोड़कर। ऐसे में अगर वह 48% टिकट सवर्णों को दे रही है तो क्या गलत है। जो वोट देगा, उसे ही कोई भी पार्टी टिकट देगी।’ EBC की आबादी अधिक, टिकट कम क्यों? पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार कहते हैं, ‘EBC में आने वाली जातियों की संख्या बिखरी हुई है।एक फीसदी से कम आबादी वाली 100 जातियां हैं। उनको सहेजना अभी टफ काम है। इसलिए पार्टियां चुनावी गणित में टिकट देने से बचती है। बाकी जगह इनको फीट कर साधने की कोशिश करती हैं। ’ सवाल-5: बिहार में किसकी कितनी आबादी? जवाबः बिहार जातीय सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में सबसे अधिक 4.70 करोड़ आबादी अति पिछड़ा वर्ग मतलब 36.1% है। इसके बाद पिछड़ा वर्ग 3.54 करोड़ यानी 27% और जनरल 2.02 करोड़ मतलब 15.52% हैं।