बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के खिलाफ सीबीआई की ओर से दर्ज कराए गए मामले में आज फैसला आने वाला है। मंजू वर्मा के घर 7 साल पहले यानी 17 अगस्त 2018 को प्रतिबंधित हथियार इंसास और एसएलआर राइफल की 50 गोलियां मिली थी। इसके बाद मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा पर सीबीआई की ओर से चेरिया बरियारपुर थाना में केस दर्ज कराया गया था। इसी मामले में बेगूसराय की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट आज फैसला सुनाएगी। दरअसल, 2018 में ही मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड सामने आया था, जिसमें 34 बच्चियों से यौन शोषण की पुष्टि हुई थी। राष्ट्रीय स्तर पर घटना चर्चा में आने पर बिहार सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई की जांच में तात्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा का नाम सामने आया था। इसके बाद मामला काफी तूल पकड़ लिया था। फिर इससे जुड़े लोगों की गिरफ्तारी होने लगी, कुछ लोग अंडरग्राउंड हो गए। फिर तत्कालीन मंत्री मंजू वर्मा को 8 अगस्त 2018 को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बालिका गृह कांड की पड़ताल के दौरान मंजू वर्मा के घर से मिली थी गोलियां मंजू वर्मा इस्तीफा देकर पति के साथ अंडरग्राउंड हो गई थीं। उधर, मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम 17 अगस्त 2018 को डीएसपी उमेश कुमार के नेतृत्व में बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर थाना क्षेत्र स्थित अर्जुन टोल श्रीपुर में स्थित मंजू वर्मा के घर (ससुराल) पहुंची और सभी सामानों की 8 घंटे तक तलाशी ली। इसी दौरान लोहे के एक बक्से से इंसास और एसएलआर की 50 गोलियां बरामद की गई थी। इस मामले में सीबीआई के डीएसपी उमेश कुमार ने उसी दिन चेरिया बरियारपुर थाना में मामला दर्ज कराया था। मामले की सुनवाई के दौरान बेगूसराय कोर्ट और पटना हाई कोर्ट ने पति-पत्नी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी तो मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा ने 29 अक्टूबर 2018 को न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। 20 नवंबर 2018 को मंजू वर्मा ने मंझौल कोर्ट में सरेंडर किया था सुप्रीम कोर्ट ने मंजू वर्मा की गिरफ्तारी नहीं होने पर बिहार पुलिस को फटकार लगाई तो कुर्की जब्ती की कार्रवाई होने पर 20 नवंबर 2018 को मंजू वर्मा ने मंझौल कोर्ट में सरेंडर किया। वहां से रिमांड पर लेकर पुलिस ने गोली के संबंध में कड़ी पूछताछ भी की, लेकिन मंजू वर्मा ठीक से जवाब नहीं दे सकी। फिर उन्हें जेल भेज दिया गया था। 14 दिसम्बर 2018 को डीएम राहुल कुमार ने आरोप पत्र दाखिल करने का आदेश दिया और 20 दिसम्बर 2018 को मंजू वर्मा एवं चंद्रशेखर वर्मा के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया गया। इससे पहले भागलपुर के डीआईजी सुशील खोपड़े ने अनुसंधानकर्ता एवं पर्यवेक्षण पुलिस पदाधिकारी से आरोपपत्र दाखिल नहीं करने को लेकर सवाल भी किया था। चार्जशीट दाखिल करने के बाद जिला न्यायालय ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दिया और लंबे इंतजार के बाद पटना हाईकोर्ट से जमानत मिली। इस हाई प्रोफाइल मामले में 4 मई 2019 को आरोपी की ओर से डिस्चार्ज आवेदन दिया गया। लेकिन कोर्ट ने 28 जून 2019 को डिस्चार्ज आवेदन खारिज कर दिया। जुलाई 2020 से गवाही शुरू हुई, अप्रैल 2022 तक चली इसके बाद 4 जुलाई 2020 को पहला आरोप गठित किया गया। 18 जुलाई 2020 से गवाही शुरू हुआ और 22 अप्रैल 2022 तक गवाही की प्रक्रिया चलती रही। गवाही के बाद 6 मई 2022 से 18 मई 2022 तक डिफेंस सफाई साक्ष्य चलते रहा। साक्ष्य के बाद 25 मई 2022 से 12 अगस्त 2024 तक मामले में दोनों ओर से बहस चलते रहा। 17 जनवरी 2025 को केस का जजमेंट होना था, लेकिन कोर्ट कर्मियों की हड़ताल से यह टल गया। जिससे एक बार फिर बहस शुरू हो गई तथा 8 अक्टूबर तक बहस के बाद अब 17 अक्टूबर को जजमेंट की तारीख निर्धारित कर दिया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक राजकुमार महतो पक्ष रख रहे हैं तथा आठ गवाहों की गवाही कराई गई। जबकि पूर्व मंत्री मंजू वर्मा एवं उसके पति चंद्रशेखर वर्मा की ओर से अधिवक्ता विजय कुमार महाराज एवं ललन महतो न्यायालय में पक्ष रख रहे हैं। फिलहाल फैसला की तारीख घोषित होने के बाद राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज हो गई है। पक्ष-विपक्ष सबकी निगाहें न्यायालय की ओर लगी हुई है कि सीबीआई के इस मामले में क्या होता है।