लुधियाना में असला लाइसेंस के लिए फर्जी मेडिकल रिपोर्ट::सिविल अस्पताल में दलाल करते हैं खेल, पुलिस ने तीन को हिरासत में लिया

लुधियाना के सिविल अस्पताल में असला लाइसेंस के लिए डोप टेस्ट की फर्जी रिपोर्ट बनाने का धंधा चल रहा है। फर्जी रिपोर्ट तैयार करवाने वाले सिविल अस्पताल के एंट्री गेट व ओपीडी के आसपास घूमते हैं। डोप टेस्ट करवाने के लिए आने वालों को वो वहीं पर घेर लेते हैं। उसके बाद या तो वो फर्जी सैंपल देकर टेस्ट करवाते हैं या फिर डॉक्टरों के फर्जी हस्ताक्षर करके रिपोर्ट दे देते हैं। यह मामला तब खुला जब एसीपी लाइसेंसिंग की शिकायत पर फर्जी रिपोर्ट देने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने लगी। मामला पुलिस कमिश्नर तक पहुंचा तो उन्होंने इसकी जांच एक एसीपी स्तर के अधिकारी को सौंप दी। जांच शुरू करने पर पता चला कि सिविल अस्पताल में घूमने वाले कुछ लोग हैं जो कि डोप टेस्ट करवाने की एवज में 10 से 15 हजार लेते हैं और वही रिपोर्ट लेकर दे देते हैं। पुलिस ने सिविल अस्पताल कैंपस से तीन लोगों को उठाया जांच में जब सिविल अस्पताल में घूमने वालों के नाम सामने आए तो पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में ले लिया और उन्हें अपने साथ ले गए। पुलिस अब इस मामले में हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ कर रही है। जिन लोगों को हिरासत में लिया है वो इस धंधे में शामिल हैं या नहीं इस पर अभी पुलिस जांच कर रही है। इसीलिए पुलिस इस मामले में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। इंटरनेशनल शूटर गुरनिहाल सिंह पर दर्ज हो चुकी है एफआईआर इंटरनेशनल शूटर गुरनिहाल सिंह गरचा के खिलाफ थाना डिवीजन नंबर पांच में 13 मई को एक एफआईआर दर्ज की गई। गरचा पर आरोप था कि उसने अपनी पिस्टल का लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए डोप टेस्ट की जो रिपोर्ट पेश की है वो फर्जी है। पुलिस ने जब रिपोर्ट की जांच करवाई तो वह फर्जी निकली जिसके बाद एसीपी लाइसेंसिंग राजेश शर्मा ने गरचा के खिलाफ शिकायत दी और पर्चा दर्ज करवाया। उसी दिन सिक्योरिटी गार्ड ने भी दी फर्जी रिपोर्ट इंटरनेशनल शूटर गुरनिहाल सिंह पर जिस दिन झूठी रिपोर्ट देने का पर्चा दर्ज हुआ उसी दिन एसीपी लाइसेंसिंग की शिकायत पर एक और व्यक्ति के खिलाफ भी पर्चा दर्ज किया गया। साहनेवाल कलां के ललित कुमार ने भी लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए फर्जी रिपोर्ट दी थी। ललित कुमार सिक्योरिटी गार्ड का काम करता था। जो डॉक्टर छुट्‌टी पर था उसके कार दिए साइन इंटरनेशनल शूटर व सिक्योरिटी गार्ड के डोप टेस्ट पर जिस डाक्टर के हस्ताक्षर थे वो डॉक्टर उस दिन सिविल अस्पताल में था ही नहीं। वह उस दिन छुट्‌टी पर था। पुलिस को साइन देखकर शक हुआ था और उसके बाद वो फर्जी हस्ताक्षर पाए गए। ऐसे खुला फर्जी रिपोर्ट बनाने का मामला एसीपी राजेश शर्मा के पास जब असला लाइसेंस की फाइल गई तो उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट चेक हुई। उन्हें रिपोर्ट पर शक हुआ तो उन्होंने डोप टेस्ट की रिपोर्ट सिविल अस्पताल में बेरिफाई करने के लिए भेज दी। सिविल अस्पताल से पुलिस को जवाब दिया गया कि रिपोर्ट पर जिस डॉक्टर के साइन हैं वो छुट्टी पर थे और यह रिपोर्ट उनके रिकार्ड में भी दर्ज नहीं है। छह अक्तूबर को फिर पकड़ी गई फर्जी रिपोर्ट छह अक्तूबर को एसीपी लाइसेंसिंग ने फिर से थाना डिवीजन नंबर पांच में शहीद करनैल सिंह नगर निवासी राजदीप सिंह के खिलाफ फर्जी रिपोर्ट पेश करने के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई। आरोपी ने सिविल अस्पताल में दलालों के जरिए रिपोर्ट बनाई थी जो कि फर्जी पाई गई। अगस्त में भी हई छह लोगों के खिलाफ दर्ज हुई थी एफआईआर 28 अगस्त को तीन लोगों के खिलाफ फर्जी मेडिकल रिपोर्ट जमा करवाने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई। इसके अलावा पुलिस ने 22 अगस्त को भीा तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। अगस्त माह में कुल छह लोगों ने फर्जी रिपोर्ट पेश की। ऐसे लपेटते हैं आवेदकों को दलाल सिविल अस्पताल में डोप टेस्ट करवाने वाले जैसे ही अपने वाहन पार्किंग में लगाते हैं और वहां से निकलते हैं तो दलाल उन्हें घेर लेते हैं। उन्हें डोप टेस्ट क्लीयर करवाने से लेकर रिपोर्ट दिलाने तक का ऑफर देते हैं। उसके बाद वो उनके साथ सौदा तय करते हैं। फिर दलाल उनको लेकर ओपीडी में जाते हैं और उन्हें इधर उधर घुमाते हैं। फिर उनको घर भेज देते हैं। उसके बाद फर्जी रिपोर्ट तैयार करके कुछ दिन बाद उन्हें दे देते हैं। इसके बदले वो 10 से 15 हजार रुपए लेते हैं। दलाली रोकने के लिए बदला सिस्टम: एसएमओ सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ अखिल सरीन ने बताया कि ओपीडी में कई लोग दलालों के चक्कर में फंस जाते हैं। उन्होंने बताया कि डोप टेस्ट करवाने वाले दलालों के चंगुल में न फंसे इसके लिए सिंगल टेबल सिस्टम शुरू कर दिया है। वहां पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं ऐसे में कोई दलाल उस एरिया में जा भी नहीं सकेगा।

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