लुधियाना शहर के बाजारों में आज रौनक देखने को मिल रही है। बर्तन, गहनों और दीयों की चमक से गलियां जगमगा उठी हैं। हर कोई कुछ न कुछ शुभ खरीदने में व्यस्त है। इसी बीच, दंडी स्वामी तपोवन आश्रम के पंडित महानंद जी महाराज ने धनतेरस के पीछे छिपे आध्यात्मिक महत्व को समझाया। पंडित जी के अनुसार धनतेरस का संबंध समुद्र मंथन से है। जब कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे तब से यह दिन ‘धनत्रयोदशी’ के नाम से मनाया जाने लगा। उन्होंने बताया कि इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि दोनों की पूजा करने से न केवल भौतिक संपदा बल्कि उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। जैन धर्म में भी इस दिन का विशेष महत्व है। इसे ‘धन्य तेरस’ कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान महावीर ने ध्यान आरंभ किया था जो आत्मज्ञान की दिशा में पहला कदम माना जाता है।