राजवीर जवंदा की मौत का मामला:हादसे में घायल पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा को नहीं मिला फर्स्ट एड, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

पंजाब गायक राजवीर सिंह जवंदा की सड़क हादसे में हुई मौत को लेकर नया मोड़ सामने आया है। हादसे के बाद अस्पताल में इलाज न मिलने के आरोपों को लेकर अब यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है। एक जनहित याचिका में गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि पिंजौर के शौरी अस्पताल ने घायल जवंदा को समय पर प्राथमिक उपचार (First Aid) देने से मना कर दिया, जिससे उनकी मौत हो गई। अस्पताल की लापरवाही पर मानवाधिकार संगठन ने जताई चिंता
यह याचिका लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल द्वारा दायर की गई है। संगठन ने कहा है कि अस्पतालों की यह असंवेदनशीलता और गैर-जिम्मेदाराना रवैया सिर्फ एक व्यक्ति की जान नहीं लेता, बल्कि पूरे समाज के लिए खतरा बन जाता है। संगठन ने कहा है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई और स्पष्ट दिशा-निर्देश जरूरी हैं, ताकि भविष्य में किसी घायल को इलाज से वंचित न रहना पड़े। पुलिस रिपोर्ट में भी सामने आया अस्पताल का रवैया
याचिका में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि पिंजौर पुलिस द्वारा दर्ज डीडीआर (डेली डायरी रिपोर्ट) में यह साफ किया गया है कि शौरी अस्पताल ने घायल गायक को प्राथमिक इलाज देने से इनकार कर दिया था। यह तथ्य खुद पुलिस रिकॉर्ड में आने से मामले की गंभीरता और बढ़ जाती है।
याचिका में क्या मांग की गई?
जनहित याचिका में हाईकोर्ट से मांग की गई है कि 27 अक्टूबर को होगी सुनवाई
यह याचिका अब 27 अक्टूबर 2025 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई है। यह तारीख दिवाली अवकाश के बाद की पहली कार्यदिवस है। इस दिन अदालत इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई करेगी। क्या है पूरा मामला?
कुछ सप्ताह पहले पंजाबी गायक राजवीर सिंह जवंदा एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्हें तुरंत शौरी अस्पताल, पिंजौर ले जाया गया, लेकिन याचिका के अनुसार अस्पताल ने उन्हें ट्रीटमेंट देने से मना कर दिया। बाद में गायक को अन्य अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उनकी हालत गंभीर हो चुकी थी और उन्होंने दम तोड़ दिया।
इस घटना ने उनके प्रशंसकों और पूरे पंजाबी म्यूजिक जगत को गहरे सदमे में डाल दिया था। संगठन ने कहा – यह सिर्फ एक कलाकार की मौत नहीं, सिस्टम की असफलता है
लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल के अनुसार राजवीर की मौत केवल एक इंसान की मौत नहीं है, यह हमारी सेहत व्यवस्था की असंवेदनशीलता और कानूनी व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करती है। अब समय आ गया है कि इस पर सख्त कदम उठाए जाएं। अब सबकी नजरें 27 अक्टूबर को होने वाली हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। यह मामला न केवल एक चर्चित कलाकार की असमय मौत का है, बल्कि पूरे आपात चिकित्सा तंत्र की कार्यशैली पर सवाल उठाता है।

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