चंडीगढ़ का स्टेटस बदलने पर केंद्र का यू-टर्न:कहा- इस संसद सत्र में नहीं ला रहे; बिल से पंजाब-हरियाणा से संबंधों पर फर्क नहीं

चंडीगढ़ के स्टेटस बदलने को लेकर केंद्र सरकार ने फिलहाल इनकार कर दिया है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस प्रस्ताव पर न तो अभी कोई अंतिम निर्णय हुआ है और न ही शीतकालीन सत्र में इससे संबंधित कोई बिल लाने की योजना है। पर्याप्त विचार विमर्श के बाद ही बिल लाया जाएगा। पहले यह बात सामने आई थी कि केंद्र सरकार 1 से 19 दिसंबर के शीतकालीन सत्र में ऐसा बिल ला सकती है, जिससे चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 239 की जगह 240 में शामिल किया जाए। इससे चंडीगढ़ पूरी तरह केंद्र शासित प्रदेश बन सकता है, जिससे प्रशासनिक अधिकार राष्ट्रपति और केंद्र के पास चले जाएंगे। इसके चलते पंजाब के नेताओं को आशंका थी कि इससे चंडीगढ़ पर उनका पारंपरिक नियंत्रण खत्म हो जाएगा। पंजाब सरकार, कांग्रेस और अकाली दल ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया था। केंद्र सरकार ने क्या कहा.. शिअद ने बुलाई कोर कमेटी की बैठक, आंदोलन की तैयारी
चंडीगढ़ स्टेटस के विवाद को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने कोर कमेटी की बैठक बुलाई है। इसकी जानकारी देते हुए दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि 24 नवंबर 2025 को पार्टी मुख्यालय में यह बैठक बुलाई गई है। इसमें अगले संघर्ष की रूप रेखा तैयार करने के साथ साथ कानून के माहिरों से भी विचार विमर्श किया जा रहा है। हम इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे। चंडीगढ़ के बारे में 2 बड़ी बातें.. 70 वर्ष लंबा विवाद, जिसे पांच कमिशन नहीं सुलझा पाए
चंडीगढ़ पर हक का विवाद करीबन 70 वर्ष पुराना है। इसकी शुरुआत 1966 में विशाल पूर्वी पंजाब को तोड़कर बनाए गए हरियाणा राज्य के साथ ही शुरू हो गई थी। 1966 से लेकर 1986 तक चंडीगढ़ के हक को लेकर छह कमीशन बने, मगर हल कुछ भी नहीं निकल पाया है। 1986 से लेकर अब तक इस पर कोई पहल नहीं की गई है। अब केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की तरफ से इसे लेकर संशोधन बिल लाने के साथ ही यह मुद्दा एक बार फिर सुलग उठा है। जानिए कब किस कमीशन ने क्या किया.. विरोधी नेताओं ने क्या कहा.. केजरीवाल चंडीगढ़ पंजाब का था, है और रहेगा
चंडीगढ़ मामले पर केजरीवाल ने कहा कि केंद्र की BJP सरकार संविधान संशोधन कर चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार खत्म करना चाहती है, जो पंजाब की पहचान और संवैधानिक हकों पर सीधा हमला है। उनका आरोप है कि फेडरल स्ट्रक्चर तोड़कर पंजाबियों के हक छीने जा रहे हैं, जबकि पंजाब ने देश की सुरक्षा, अनाज, पानी और इंसानियत के लिए हमेशा बलिदान दिया है। इसे उन्होंने प्रशासनिक फैसला नहीं बल्कि पंजाब की आत्मा पर चोट बताया। कहा- पंजाब ने कभी तानाशाही के आगे सिर नहीं झुकाया, न अब झुकाएगा। चंडीगढ़ पंजाब का था, है और रहेगा। भाजपा अध्यक्ष जाखड़ बोले- हमारे लिए पंजाब सबसे पहले
चंडीगढ़ UT का स्टेटस बदलने के मामले पर पंजाब भाजपा की पहली प्रतिक्रिया आई है। एक्स हैंडल पर पोस्ट डालते हुए BJP प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने लिखा है कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न अंग है और पंजाब भाजपा पंजाब के हितों के साथ पूरी दृढ़ता से खड़ी है, चाहे वह चंडीगढ़ का मामला हो या पंजाब के पानी का। चंडीगढ़ को लेकर जो भी भ्रम की स्थिति बनी है, उसे भी सरकार से बातचीत करके दूर किया जाएगा। एक पंजाबी होने के नाते, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमारे लिए पंजाब सबसे पहले है। क्या थे पेप्सू के क्षेत्र
पेप्सू (PEPSU) का मतलब है पटियाला एंड ईस्ट पंजाब स्टेट्स यूनियन (पटियाला and East Punjab States Union)। यह भारत का एक पूर्व राज्य था जो 1948 में आठ रियासतों को मिलाकर बनाया गया था। पेप्सू का गठन भारत की स्वतंत्रता के बाद रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा था। इसका उद्देश्य इन छोटी रियासतों को एक साथ लाकर एक अधिक व्यवहार्य प्रशासनिक इकाई बनाना था। पेप्सू क्षेत्र में ये रियासतें थीं
पटियाला, जींद, नाभा, कपूरथला, फरीदकोट, मलेरकोटला, कालका. नालागढ़। पेप्सू की राजधानी पटियाला थी। 1956 में, पेप्सू को पंजाब राज्य में मिला दिया गया। चंडीगढ़ को इसकी राजधानी बनाया।

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