पिता की मौत के बाद भी नहीं मिली कम्पैशनेट अपॉइंटमेंट:चंडीगढ़ CAT ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब, 10 साल बीते

केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) चंडीगढ़ बेंच की सर्किट बेंच शिमला ने एक मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया है। पालमपुर (कांगड़ा) के रहने वाले सचिन कुमार ने शिकायत की है कि केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने उन्हें कम्पैशनेट अपॉइंटमेंट नहीं दी। जानिए पूरा मामला क्या था सचिन कुमार के पिता, सुरेश कुमार, वित्त मंत्रालय के अंतर्गत राजस्व विभाग में MTS (सीनियर प्यून), ग्रुप-D पद पर कार्यरत थे। उनकी 22 जनवरी 2014 को सेवा के दौरान मौत हो गई थी। परिवार में विधवा मां, छोटा भाई और बिस्तर पर पड़ी दादी शामिल हैं। पिता के निधन के बाद मां ने बेटे सचिन के लिए सरकार से सहानुभूति के आधार पर नौकरी देने की मांग की थी। 10 साल बाद भी नहीं मिली नौकरी सचिन ने अधिकरण को बताया कि आवेदन देने के बाद विभाग ने बार-बार नया फॉर्म, पता और दस्तावेज़ मांगे। हर बार यही कहा गया कि मामला कमेटी के सामने विचाराधीन है। परिवार का कहना है कि कई बार कागज़ जमा करवाने के बावजूद भी नौकरी नहीं दी गई। पूरी प्रक्रिया में 10 साल बीत गए, लेकिन नियुक्ति पत्र आज तक जारी नहीं हुआ। परिवार अभी भी केवल फैमिली पेंशन पर निर्भर है। सचिन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि ऐसी नियुक्ति पर निर्णय आवेदन मिलने के 6 महीने के भीतर हो जाना चाहिए। कमेटी ने कई बार किया विचार सरकार ने अधिकरण को बताया कि ऐसी सहानुभूति आधार वाली नौकरियों में सिर्फ़ 5% सीटें ही तय होती हैं, इसलिए हर व्यक्ति को तुरंत नौकरी देना संभव नहीं होता। बताया गया कि सचिन का केस 2018, 2021 और 2022 में कमेटी के सामने रखा गया था। विभाग ने 100 अंकों का एक स्कोर सिस्टम बनाया है, जिससे हर उम्मीदवार को एक-जैसे पैमानों पर परखकर फेयर तरीके से तुलना की जा सके। इस प्रक्रिया में 6 उम्मीदवारों को MTS पद पर नियुक्ति की सिफारिश की गई, जिनमें सचिन का नाम शामिल नहीं था। सरकार ने कहा कि सचिन का केस 2021, 2022 और 2023 की 5% कोटे वाली वैकेंसी के लिए अभी भी विचाराधीन है। परिवार को कोई जानकारी नहीं दी गई सचिन ने अधिकरण को बताया कि पूरा मामला शुरू से ही साफ़ नहीं था। परिवार को न किसी मीटिंग की जानकारी दी गई और न ही यह बताया गया कि 100 अंकों वाला मूल्यांकन कैसे किया गया। उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि किन आधारों पर बाकी 6 उम्मीदवारों को चुना गया। सचिन ने यह भी कहा कि मार्च 2021 में विभाग के अधिकारी ने पालमपुर पहुंचकर उनके परिवार की बेहद खराब आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें सिर्फ़ 2.5 लाख का छोटा सा घर और फैमिली पेंशन पर पूरी निर्भरता का जिक्र था। इसके बावजूद उनके केस को नज़रअंदाज़ किया गया। सचिन का दावा है कि शहरों के उम्मीदवारों की फाइलें जल्दी आगे बढ़ाई गईं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र से होने की वजह से उनके साथ भेदभाव हुआ।

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