कुरुक्षेत्र के किसान ने बेचे 6 लाख रुपए के अमरूद:1 एकड़ में लगाए 1800 पौधे; चार साल तक 9 गुणा उत्पादन मिला

कुरुक्षेत्र के गांव हथीरा के किसान सुरेंद्र ढिल्लो ने गेहूं और धान की परंपरागत खेती में लगातार घाटा झेलने के बाद पांच साल पहले बागवानी की राह चुनी। उन्होंने अमरूद की खेती करने का निर्णय लिया और आंध्र प्रदेश की नर्सरी से ताइवान पिंक किस्म के पौधे मंगवाए। बागवानी विभाग के अनुसार एक एकड़ में 200 से 220 पौधे लगाने की सलाह दी जाती है, लेकिन सुरेंद्र ने एक एकड़ में 1800 पौधे लगाए। दूसरे साल से ही प्रत्येक पौधे ने औसतन 15 किलो फल देना शुरू कर दिया। इससे सुरेंद्र ने दूसरे ही साल में एक एकड़ से करीब 6 लाख रुपए का अमरूद बेचा। गाजियाबाद मंडी तक पहुंचाया कुरुक्षेत्र का अमरूद
सुरेंद्र ने बताया कि शुरुआती वर्षों में उत्पादन कम था, इसलिए फल की बिक्री स्थानीय मंडियों में होती थी। लेकिन तीसरे साल से उत्पादन बढ़ने पर उन्होंने दिल्ली की गाजियाबाद मंडी में अमरूद बेचना शुरू किया। परंपरागत खेती में घाटे के बाद लिया बड़ा फैसला
सुरेंद्र ढिल्लो दो एकड़ के किसान हैं। उन्होंने बताया कि 2018 और 2019 में गेहूं और धान की खेती में लगातार नुकसान हुआ, जिसके बाद उन्होंने खेती का तरीका बदलने का निर्णय लिया। सोशल मीडिया पर अमरूद की खेती के बारे में जानकारी मिलने के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश से 40 रुपए प्रति पौधे की दर से 72 हजार रुपए के पौधे मंगवाए। उन्होंने बताया कि चौथे साल में पौधे एक-दूसरे से फंसने लगते हैं, इसलिए चार साल तक सभी पौधों से फल लेने के बाद उन्होंने कुछ पौधे निकालने शुरू कर दिए। इससे उन्हें चार साल तक नौ गुना उत्पादन मिला। फरवरी में लगाना सबसे उपयुक्त समय
सुरेंद्र के अनुसार अमरूद के पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय फरवरी की शुरुआत है। इस समय पौधे की ग्रोथ बेहतर होती है। उन्होंने बताया कि इस साल 31 मार्च तक उन्होंने अमरूद 75 से 80 रुपए प्रति किलो तक बेचा, जबकि सर्दियों में यही अमरूद 20 से 30 रुपए किलो तक बिकता है। खुद बनाते हैं जैविक स्प्रे
सुरेंद्र ढिल्लो ने बताया कि उन्होंने अमरूद का बाग लगाने से पहले एक एकड़ में गोबर की खाद की 15 ट्रॉली डाली। फल को मक्खी से बचाने के लिए वे लहसुन, प्याज, नीम और लस्सी को मिलाकर 15 दिनों तक सड़ाकर एक जैविक घोल तैयार करते हैं। इस घोल को पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करने से मक्खी का प्रकोप खत्म हो जाता है। सूचना: आप भी किसान हैं और खेती में ऐसे नवाचार किए हैं जो अन्य किसानों के लिए उपयोगी हो सकते हैं, तो अपनी जानकारी, फोटो और वीडियो अपने नाम-पते के साथ 8708786373 पर केवल वॉट्सएप करें। ध्यान रखें, यह नवाचार किसी अन्य मीडिया में प्रकाशित न हुआ हो। प्रगतिशील किसान सुरेंद्र ढिल्लो से संपर्क: 9896992111

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