बॉक्सर जैस्मिन लंबोरिया बोली-हार से सीखा प्रेशर नहीं लेना:उसी मंत्र से हराई ओलिंपिक मेडलिस्ट; भारत की गोल्डन क्वीन ऑफ बॉक्सिंग बनी

दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में आयोजित वर्ल्ड बॉक्सिंग कप 2025 में गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही भिवानी की बॉक्सर जैस्मिन लंबोरिया पहली मुक्केबाज बन गई है, जिन्होंने एक साल में तीन वर्ल्ड खिताब जीते हैं। दैनिक भास्कर एप से बातचीत करते हुए उन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल 2025 मुकाबलों का अनुभव सांझा किया। साथ ही जैस्मिन लंबोरिया ने कहा कि उन्होंने बड़े टूर्नामेंट में हुई हार से सीख ली है कि प्रेशर नहीं लेना। इसी मंत्र को लेकर वे रिंग में उतरी और ओलिंपिक 2024 की मेडलिस्ट बॉक्सर को हराकर गोल्डन पंच लगाने में सफल रही। 57 किलोग्राम भारवर्ग में जीता गोल्ड मेडल
बता दें कि भिवानी की रहने वाली जैस्मिन लंबोरिया ने वर्ल्ड बॉक्सिंग कप 2025 के फाइनल में 57 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने ओलिंपिक मेडलिस्ट चीनी ताइपे की खिलाड़ी वू शिह यी को 4–1 से मात दी। वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल 2025 ने चोटिल होते हुए भी इस खिताब को जीता। इसके साथ ही जैस्मिन पहली मुक्केबाज बनी है, जिसने एक ही साल में 3 वर्ल्ड खिताब जीते हैं। जैस्मिन ने ब्राजील में आयोजित वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीता था। वहीं इसके बाद इंग्लैंड के लिवरपुल में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में जैस्मिन लंबोरिया ने गोल्ड मेडल जीता था। वहीं अब वर्ल्ड कप फाइन में भी गोल्ड मेडल जीता है। गोल्ड मेडलिस्ट बॉक्सर जैस्मिन लंबोरिया से बातचीत
रिपोर्टर: वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल 2025 का अनुभव कैसा रहा?
जैस्मिन लंबोरिया : काफी अच्छा अनुभव रहा। नोएडा में वर्ल्ड कप फाइनल चल रहा था। उसमें टॉप 8 रैंक के खिलाड़ी उन्होंने भाग लिया। उन्होंने 57 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्ड मेडल दिलाया है। गोल्ड मेडल जीतकर काफी अच्छा लग रहा है। रिपोर्टर: जब फाइनल में आपका मुकाबला टेढ़ा होने लगा, उस वक्त आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आया, डर या जिद?
जैस्मिन लंबोरिया : जैसे मुकाबला इंडिया में ही था तो होम क्राउड था और पूरा परिवार का सहयोग था। सबकुछ अपने फेवर में था, इसलिए उससे और ज्यादा मोटिवेशन मिल रहा था। किसी चीज का डर नहीं था। हां यही था कि हमारे इंडिया के लिए करना है। रिपोर्टर: आपने कई अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर को हराया, कौन-सा पंच या रणनीति इस टूर्नामेंट की आपकी ‘गुप्त ताकत’ रही?
जैस्मिन लंबोरिया : वहीं जो मेरा गेम बना रखा है लांग रेंज का। वही नेचुरल गेम खेलने के लिए बोला गया था। वहीं खेला। रिपोर्टर: एक समय यह कहा जा रहा था कि भारतीय महिला बॉक्सर दबाव में टूट जाती हैं… आपने इसे कैसे गलत साबित किया?
जैस्मिन लंबोरिया : क्या होगा इस चीज का प्रेशर नहीं लिया। क्योंकि पहले कई बड़े टूर्नामेंट में प्रेशर लेकर हार का सामना करना पड़ा था। वहां से वह सीख मिली थी कि अगर रिंग में जा ही रही हो तो पूरा बेस्ट करके आओ। पिछले जो हार मिली है उनसे सबक लेकर कि प्रेशर क्यों नहीं लेना है। वह चीज समझ में आ गई थी, इसलिए। रिपोर्टर: जीत के बाद सबसे पहला फोन किसका आया और क्या कहा गया? कोई एक लाइन जो अब भी दिमाग में गूंज रही हो?
जैस्मिन लंबोरिया : मैंने सबसे पहली कॉल मेरे बेसिक कोच संदीप और परविंद्र लंबोरिया को ही किया कि मैं जीत गई हूं। रिपोर्टर: बॉक्सिंग में बहुत कम लड़कियां टिक पाती हैं, कभी लगा कि यह खेल छोड़ दूं? उस कठिन पल को आपने कैसे पार किया?
जैस्मिन लंबोरिया : अभी तक तो ऐसा कुछ नहीं हुआ। रिपोर्टर: यहां तक पहुंचने तक का सफर कितने साल का रहा?
जैस्मिन लंबोरिया : मैंने 10वीं कक्षा में बॉक्सिंग शुरू की थी, जब वे करीब 15 साल की थी। करीब 9 साल हो गए। हर खिलाड़ी की जिंदगी में उतार चढ़ाव रहता है। आर्थिक, हार-जीत और चोट सब चलता रहता है। पीछे फैमिली और कोच का सहयोग रहता है। वे उन चीजों से गुजरे हुए होते हैं, उन्हें पता होता है कि कैसे संभालना है। पूरा सहयोग मिला। रिपोर्टर: आपने शुरुआत की तब किस तरह कि आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उनका क्या असर रहा?
जैस्मिन लंबोरिया : मेरा तो फैमिली बैक ग्राउंड स्पोर्ट्स से रहा है। इसलिए मेरे को ज्यादा सुनने को नहीं मिला कि लड़की है क्यों करवा रहे हैं। कुछ एक-दो हैं, ठीक है, लेकिन इतना नहीं था। पता नहीं मेरे तक पहुंची नहीं बातें या क्या। लेकिन मैंने सुना नहीं कि क्यों कैसे खिला रहे हैं। पूरी फैमिली साथ थी। रिपोर्टर: अब लगातार एक साल में 3 वर्ल्ड खिताब जीते हैं। अब क्या साबित करना है, क्या लक्ष्य है?
जैस्मिन लंबोरिया : अभी 2026 का वर्ष एशियन और कॉमनवेल्थ गेम का रहेगा। मैन टारगेट 2028 का ओलिंपिक है। रिपोर्टर: यदि आप इस टूर्नामेंट को एक शब्द में बयां करें, वह क्या होगा और क्यों?
जैस्मिन लंबोरिया : अच्छा था। रिपोर्टर: जो मुकाबले हुए उसमें क्या सीखने को मिला?
जैस्मिन लंबोरिया : मेरी 2 फाइट हुई थी। एक सेमीफाइनल और अगले दिन फाइनल। फाइनल का मुकाबला 2024 ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट के साथ था। उसके साथ रिंग शेयर करने का अनुभव मिला। जितना अच्छे खिलाड़ियों के साथ अब खेल रही हूं और उसके साथ खेलकर अनुभव होगा। उस समय हमारे दिमाग ने क्या रिएक्ट किया वह सब सीखा। रिपोर्टर: अगला निशाना क्या है, खुद को चुनौती देना या दुनिया को डराना?
जैस्मिन लंबोरिया : खुद को चुनौती। जो लड़ाई अंदर से लड़ी जाती है, खुद के लिए लड़ी जाती है, वह कुछ ना कुछ अच्छा करवाती है। दुनिया को तो नहीं, लेकिन लड़ाई खुद से लड़नी है। जहां पर हम कम हैं, तो खुद को ही करके दिखाना है कि यहां से हम ऊपर उठें। रिपोर्टर: ओलिंपिक को लेकर खुद में कुछ सुधार करेंगी या कुछ और सीखेंगी?
जैस्मिन लंबोरिया : सीखना तो अभी लगा ही रहेगा। क्योंकि ओलिंपिक का लेवल बहुत अच्छे लेवल का है। वहां तक का सफर काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा। जो भी नई-नई चीजें सीखने को मिलेंगी, माइंड सेट और फिजिकल से संबंधित होगा वह सब सीखना है।

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