सरकारी हाई स्कूल साहनेवाल के रजिस्टर में दर्ज हैं धर्मेंद्र का नाम

लुधियाना के ऋषि नगर निवासी परम गिल अपने गुरु धर्मेंद्र के निधन से गहरा दुखी हैं। सिंगर और प्रोड्यूसर परम बताते हैं कि वह अपने हर बड़े फैसले से पहले धर्मेंद्र से सलाह लेते थे। हर मुलाकात पर परम अपने गुरु के लिए विशेष सम्मान स्वरूप पगड़ी लेकर जाते थे। परम गिल ने भावुक होते हुए बताया कि तीन महीने पहले 25 अगस्त को ही वे मुंबई में धर्मेंद्र से मिलने गए थे। उस समय धरम जी ने अपनी आंख का ऑपरेशन करवाया था और वह आराम कर रहे थे। परम उनसे हाल-चाल पूछने और अपनी नई फिल्म के बारे में बताने पहुंचे थे। परम गिल हरप्रीत मक्कड़ | लुधियाना सुपर स्टार धर्मेंद्र के संस्कार में पहुंचे उनके 40 साल पुराने दोस्त बीआरएस नगर निवासी घनश्याम की पत्नी उनके लिए हमेशा साग और मशरूम बनाती थीं, और धर्मेंद्र पंजाबी पकवानों से बेइंतहा प्यार करते थे। 12 जून को घनश्याम की पत्नी के निधन पर उन्होंने घनश्याम की बेटी सीमा को फोन कर कहा था ‘गुड़िया चली गई’ अब मुझे साग और मशरूम कौन बनाकर खिलाएगा?” ये कहते-कहते धर्मेंद्र खुद फूट-फूटकर रो पड़े थे। घनश्याम बताते हैं कि उनका भाई अजीत और धर्मेंद्र दोनों ही उनके बेहद करीबी थे। अजीत के निधन का दुख अभी कम नहीं हुआ था कि अब धर्मेंद्र भी साथ छोड़ गए। उनका कहना है कि जब भी धर्मेंद्र दिल्ली या चंडीगढ़ होते, घर फोन कर कहते ‘साग बनाकर भेज देना।’ इतने बड़े कलाकार का इतनी सरलता और प्यार से जुड़ा रहना, अपने आप में अद्भुत था। एक बार घनश्याम उन्हें लेकर मलेरकोटला गए, जहां धर्मेंद्र ने बताया कि वह यहां ट्यूबवेल फिटिंग किया करते थे। रास्ते में दो पुलिसकर्मी खड़े दिखे तो धर्मेंद्र ने कार रुकवाकर उनसे मिलने और फोटो खिंचवाने की इच्छा जताई। लोगों से इस तरह मिलना, मदद करना, प्यार देना…यही उनका असली स्वभाव था। धर्मेंद्र जब भी मुंबई में होते, घनश्याम से मजाक में कहते ‘चांदी की गढ़वी, सोने का लोटा आ गया’। धर्मेंद्र के लिए पंजाब सिर्फ जन्मभूमि नहीं, दिल की धड़कन था। मुंबई में रहते हुए भी वह हर दो महीने में घनश्याम को फोन करते लौटे कैसे हो गुड्डी कैसी है। पंजाब में क्या चल रहा है। उन्हें हर बात में पंजाब की खुशबू चाहिए होती थी। धर्मेंद्र के जाने का दुख घनश्याम शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे। उनका नाम हमेशा जिंदा रहेगा—पंजाब का एक शेर था, जिसका नाम था धर्मेंद्र। उनकी 15 साल पुरानी चंडीगढ़ की तस्वीर आज भी उनकी यादों को जीवित रखती है। हिंदी फिल्मों के सुपरस्टार ही-मैन, जिन्होंने फिल्मी दुनिया में आने से पहले पंजाब में ट्यूबवेल फिटिंग कंपनी में नौकरी भी की। उन्होंने 1957 में लुधियाना जिले के दोराहा से सटे रामपुर गांव में एक अमेरिकन कंपनी का सरकारी ट्यूबवेल फिट करवाया था। रामपुर गांव के रहने वाले और धर्मेंद्र के परिवार के काफी करीबी हिंदी और पंजाबी फिल्म एक्टर पाली मांगट ने बताया कि उनके दादा जंगीर सिंह उस समय पंजाब एग्रीकल्चर ऑफिसर थे और उन्होंने डिपार्टमेंट से इस ट्यूबवेल की मांग की थी और उस समय धर्मेंद्र की देखरेख में यह ट्यूबवेल लगाया गया था। आज भी यह ट्यूबवेल चालू हालत में है और लोग आज भी इसी ट्यूबवेल का पानी इस्तेमाल करते हैं।जब परम ने कहा कि वह एक नई फिल्म बना रहे हैं जिसमें धरम जी को साथ लेना चाहते हैं, तब धर्मेंद्र जी ने मुस्कुराकर कहा था ‘मैं हमेशा तेरे साथ हूं।’ ये शब्द आज भी परम के दिल में गूंज रहे हैं। उन्होंने बताया कि धरम जी पंजाब से बेहद प्यार करते थे। कोई भी पंजाबी कलाकार, कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति अगर उनके दर पर पहुंचता था, तो धरम जी सबसे पहले उसकी मदद करते थे। परम गिल ने बताया कि धर्मेंद्र को शायरी लिखने का भी बहुत शौक था। उन्होंने एक किताब भी लिखी है जिस पर फिल्म बनाने का प्लान चल रहा था, लेकिन यह सपना अधूरा रह गया। वहीं, उन्होंने बताया कि 25 दिसंबर को धर्मेंद्र की नई फिल्म रिलीज होने जा रही है, जिसमें वह कर्नल का किरदार निभा रहे हैं। पूर्व नाम कुंवर धरमिंदर सिंह फिल्म अभिनेता धरमिंदर को दुनिया भर में धर्मेंद्र के नाम से जाना जाता है, लेकिन बचपन में उनका असली नाम कुंवर धरमिंदर सिंह था। ये नाम सरकारी हाई स्कूल साहनेवाल के रजिस्टर में भी दर्ज है। धरमिंदर का इस स्कूल में 2 दिसंबर 1948 को दाखिला हुआ था। बताया जा रहा है कि धर्मेंद्र नौवीं जमात में भर्ती हुए थे। धर्मेंद्र के पिता एक शिक्षक थे, इसलिए संभव है कि जब उनका तबादला साहनेवाल हुआ, तो उन्हें नौवीं जमात में भर्ती कराया गया हो। जतिन विजन। खन्ना| खन्ना के गांव नसराली में 8 दिसंबर 1935 को जन्मे कुंवर धरमिंदर सिंह को बॉलीवुड में धर्मेंद्र से पहचान मिली है। धर्मेंद्र का जिस गांव में जन्म हुआ आज उस घर की हालत हो खस्ता हो चुकी है। गांव के लोगों ने बताया कि उनके पिता केवल कृष्ण नसराली में पढ़ाते थे। गांव के बुजुर्ग मास्टर जसवंत सिंह ने कहा कि धर्मेंद्र के पिता केवल कृष्ण देओल ने दो साल तक गांव में पढ़ाया था। इस दौरान धर्मेंद्र ने इस धरती पर जन्म लिया। खस्ता हाल घर को दिखाते उन्होंने कहा कि वह इसी घर के अंदर पैदा हुए थे, वह इसी घर के अंदर खेलते और हंसते थे। अब घर की हालत बहुत खराब है। जसवंत सिंह ने कहा कि धर्मेंद्र ने कई बार अपने इंटरव्यू में कहा है कि उनका जन्म नसराली गांव में हुआ है, इसलिए उनको बहुत गर्व महसूस होता है। वह दुनिया की एक बड़ी शख्सियत हैं, जिन पर उन्हें गर्व है, लेकिन वह कभी इस गांव में क्यों नहीं आए, इस बात का गांववासियों को भी दुख है कि उन्हें नहीं पता कोई घाट कहां चला गया। न तो धर्मेंद्र कभी गांव में आए और न ही गांव वालों ने कभी उन तक पहुंच बनाई। मोहाली में रहते पंडित विजय कुमार और उनके दो अन्य भाई ही उनके संपर्क में थे। इस अवसर पर बलजिंदर सिंह, दिलबाग सिंह, हरमिंदर सिंह मिंडा आदि उपस्थित थे। जब भी मिलता था, तब पगड़ी देता था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *