पढ़ाई के साथ बच्चों के लिए कुकिंग सीखना जरूरी

भास्कर न्यूज। लुधियाना। आज बच्चों का आत्मनिर्भर होना सिर्फ पढ़ाई पर नहीं, बल्कि उनकी लाइफ स्किल्स पर भी निर्भर है। कुकिंग एक ऐसी स्किल है जो उन्हें जिम्मेदार, आत्मविश्वासी और हेल्दी बनाती है। बचपन में यह आदत डालने से बच्चे आगे चलकर बेहतर फूड चॉइस करते हैं, अपनी हेल्थ पर ध्यान देते हैं और जीवन में आने वाली स्थितियों को सरलता से संभाल पाते हैं। पैरेंटिंग और चाइल्ड डेवलपमेंट एक्सपर्ट्स के मुताबिक आज की पीढ़ी डिजिटल स्क्रीन और पढ़ाई के दबाव में इतनी व्यस्त हो चुकी है कि लाइफ स्किल्स का विकास धीमा हो गया है। कुकिंग बच्चों को जीवन की जरूरतों से जोड़ती है। जब बच्चा खुद कुछ बनाना सीखता है तो उसमें आत्मनिर्भरता बढ़ती है और वह परिवार की जिम्मेदारियों को समझने लगता है। कुकिंग सीखना बच्चों के लिए सिर्फ एक हॉबी नहीं, बल्कि जीवन भर साथ देने वाली आदत है। पढ़ाई के साथ-साथ यदि माता-पिता बच्चों को किचन का हिस्सा बनाएं, उन्हें छोटे-छोटे काम सिखाएं और उनका उत्साह बढ़ाएं, तो यह कौशल भविष्य में उन्हें मजबूत, जागरूक और जिम्मेदार इंसान बनने में बड़ी भूमिका निभाता है। कुकिंग का मतलब तुरंत गैस या चाकू का इस्तेमाल नहीं है। बच्चों को छोटे और सुरक्षित काम देकर शुरुआत की जा सकती है। जैसे सब्जियां धोना, सलाद तैयार करना, दही फेंटना, आटा छानना, फल सजाना या घर की बेसिक सामग्री पहचानना। ये शुरुआती कदम बच्चों को किचन के प्रति सहज बनाते हैं और सीखने की रुचि भी बढ़ाते हैं। बच्चों में हेल्दी फूड चॉइस विकसित होती है : जब बच्चे खुद समझते हैं कि कौन-सा खाना कैसे बनता है और कैसे शरीर को फायदा देता है, तो वे जंक फूड से दूरी बनाने लगते हैं। कुकिंग सीखने वाले बच्चे अपनी डाइट को लेकर ज्यादा अवेयर होते हैं, खाने की बर्बादी कम करते हैं और हेल्दी खाने का चुनाव करना सीख जाते हैं। इससे उनके अंदर जीवनभर रहने वाली अच्छी आदतें विकसित होती हैं। आत्मविश्वास और जिम्मेदारी बढ़ती है : जब बच्चा अपनी बनाई हुई डिश परिवार को सर्व करता है तो उसका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है। वह खुद को सक्षम महसूस करता है। माता-पिता का प्रोत्साहन इस प्रक्रिया में बेहद जरूरी है। तारीफ मिलने पर बच्चा नई-नई चीजें सीखने के लिए और भी उत्साहित होता है। कुकिंग के दौरान वह समय प्रबंधन, सफाई और अनुशासन जैसी आदतें भी सीखता है। मानसिक विकास और क्रिएटिविटी में मददगार : कुकिंग सिर्फ पेट भरने तक सीमित नहीं है, यह बच्चों की मानसिक सेहत पर भी सकारात्मक असर डालती है। रंग, खुशबू, टेक्सचर और पकाने की गतिविधियां उनके सेंसरी डेवलपमेंट को बढ़ाती हैं। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि खाना बनाना एक तरह की थेरेपी की तरह काम करता है, जो तनाव कम करता है। इससे बच्चे क्रिएटिव सोच विकसित करते हैं और नई चीजें आज़माने का आत्मविश्वास पाते हैं। भविष्य में सबसे ज्यादा काम आने वाली स्किल : जब बच्चे हाईर स्टडीज़ या नौकरी के लिए घर से दूर रहते हैं, तब कुकिंग उनके लिए सबसे बड़ी सहारा बनती है। जिन्हें खाना बनाना आता है, वे स्वस्थ रहते हैं, बजट संभालते हैं और बाहर के अनहेल्दी खाने पर निर्भर नहीं रहते। यह स्किल उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है और हर परिस्थिति में खुद को मैनेज करने की क्षमता देती है।

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