चंडीगढ़ क्लब की झुग्गी बस्ती हटाने के बाद अब प्रशासन का अगला लक्ष्य धनास की कच्ची कालोनी को हटाना है। संपदा विभाग ने इस पूरी प्रक्रिया को तेज कर दिया है। लगभग 10 एकड़ क्षेत्र में 800 से ज्यादा झुग्गियां बनी हुई हैं, जो किसानों की निजी जमीन पर अस्थायी रूप से खड़ी हैं। प्रशासन के अनुसार, यह शहर की अंतिम बची बड़ी कच्ची कालोनी है, जिसे हटाया जाना बाकी है। अधिकारियों का कहना है कि सर्दियों के मौसम में कार्रवाई करने पर अदालत से स्टे मिलने की संभावना रहती है, इसलिए सर्दी खत्म होते ही यह कालोनी हटाई जाएगी। पूरे साल चला अतिक्रमण हटाने का अभियान इस वर्ष प्रशासन ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए कई स्लम कालोनियों और वर्षों पुराने अतिक्रमणों को हटाया है। अधिकारियों ने इसे अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है।शहर में दोबारा कब्जे न हों, इसके लिए फील्ड अफसरों की विशेष टीमें बनाई गई हैं और उनकी जवाबदेही भी तय की गई है। 30 सितंबर को प्रशासन ने सेक्टर 38 की शाहपुर कालोनी में तोड़फोड़ की थी। यह कालोनी 4.5 एकड़ सरकारी जमीन पर फैली हुई थी, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 250 करोड़ रुपए है। मांग रहे लैंड पुलिंग पॉलिसी धनास की जिस 10 एकड़ जमीन पर यह कच्ची कालोनी बनी है, वह निजी मालिकाना है।किसान अपनी जमीन प्रशासन को देने को तैयार हैं, लेकिन वे लैंड पुलिंग पॉलिसी लागू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह जमीन खेती योग्य नहीं है, इसलिए उन्होंने सिर्फ किराए पर अस्थायी शेड बनवाकर लोगों को रहने दिया हुआ है। अवैध नहीं किराए के शेड में रहते हैं धनास की कच्ची कालोनी में रहने वाले लोगों का कहना है कि उनकी बस्ती अवैध नहीं है। यह किसानों से किराए पर ली गई निजी जमीन है, जहां उन्होंने अस्थायी शेड बना रखे हैं।निवासियों का यह भी कहना है कि सरकार ने 2022 तक सभी को घर देने का वादा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में उन्हें हटाने से पहले पुनर्वास दिया जाना चाहिए।