नारनौल में नीरपुर–रघुनाथपुरा रोड फोरलेन बनाने की मांग:रेवाड़ी रोड पर बढ़ते ट्रैफिक से लोग परेशान; नई लेयर डालने से PWD पर उठे सवाल

महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल में रेवाड़ी रोड पर नीरपुर से सिंघाना रोड पर रघुनाथपुरा गांव तक फोरलेन बनाने की मांग उठने लगी है। लोगों का कहना है कि यह मार्ग शहर के बीच से होकर गुजरता है, मगर टू लेन होने के कारण यहां हादसों का डर बना रहता है। वहीं इस मार्ग पर हो रहे पेचवर्क पर भी लोगों ने नाराजगी जाहिर की है। नारनौल शहर के चारों ओर सिक्स लेन राष्ट्रीय राजमार्ग विकसित हो चुके हैं, लेकिन जैसे ही शहर की सीमा में प्रवेश होता है, सड़कें वैसी ही जर्जर और संकरी नजर आती हैं। विशेष रूप से नीरपुर से रघुनाथपुरा तक का लगभग सात किलोमीटर का मार्ग आज भी सिंगल रोड के रूप में बना हुआ है। यहां ट्रैफिक का भारी दबाव रहता है, जिससे आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। यह सड़क पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन आती है, जबकि इसके दोनों ओर सिक्स लेन नेशनल हाईवे बने हुए हैं। मरम्मत की बजाय हो मार्ग चौड़ा शहर के नितेश मित्तल, मनोज कुमार, महेश सैनी का कहना है कि इस मार्ग पर पिछले कई वर्षों में भारी ट्रैफिक बढ़ गया है, लेकिन फोरलेन बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हैरानी की बात तो यह है कि इस सड़क की मरम्मत के नाम पर हर साल नई लेयर डाल दी जाती है, जबकि असली आवश्यकता सड़क के चौड़ीकरण की है। एनएच 11 को जोड़ता है नारनौल शहर से गुजरने वाला नेशनल हाइवे नंबर 11 दिल्ली को राजस्थान के जैसलमेर से जोड़ता है। धारूहेड़ा से गोदबलाहा तक इसे सिक्स लेन में विकसित किया जा चुका है। लेकिन नीरपुर से रघुनाथपुरा के बीच का हिस्सा सिंगल लेन होने से शहर में दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बन रहा है। अनेक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और कई हादसों में गंभीर रूप से घायल होकर दिव्यांगता का शिकार भी हुए हैं। रघुनाथपुरा में रहती है मंगलवार को भीड़ रघुनाथपुरा स्थित फायरिंग रेंज पर हनुमान मंदिर होने से मंगलवार और शनिवार को यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। दोपहिया, ऑटो और पैदल चलने वालों के बीच सड़क पर जाम जैसी स्थिति बन जाती है। ऐसे में लोगों का स्पष्ट कहना है कि यह सड़क तत्काल फोरलेन बनाई जानी चाहिए। जमीन बनी बाधा सड़क चौड़ीकरण में वन विभाग की जमीन सबसे बड़ी बाधा है। नीरपुर की ओर जंगलात क्षेत्र है, जबकि दूसरी तरफ कृषि विभाग और पब्लिक हेल्थ के कार्यालय स्थित हैं। फोरलेन निर्माण के लिए कुछ मीटर अतिरिक्त जमीन जरूरी है। वन क्षेत्र में हरे पेड़ों के कारण वन विभाग मंजूरी देने में संकोच कर रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि इच्छाशक्ति दिखाएं तो सरकार स्तर पर समाधान संभव है। नहीं मिल रही जमीन इधर PWD द्वारा पहले से अच्छी सड़क पर भी 40 एमएम की नई लेयर डाले जाने को लेकर लोगों में नाराजगी है। विभाग के जेई जितेंद्र शर्मा का कहना है कि सड़क की अवधि पूरी होने पर इसकी सुरक्षा के लिए नई लेयर डाली गई है। वहीं उन्होंने स्वीकार किया कि फोरलेन निर्माण के लिए जमीन की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं वन विभाग इसके लिए जमीन दे नहीं रहा।

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