हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक खेती के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। लाओस की राजधानी विएंटिएन में आयोजित प्राकृतिक खेती और एग्रो-इकोलॉजी पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में, हिमाचल की संस्था हिमरा (HimRRA) द्वारा विकसित ‘दस कुदरती खेती गांवों’ की विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) सहित कई वैश्विक संस्थाओं ने प्रशंसा की। यह मान्यता हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करती है। हिमरा के संस्थापक डॉ. डीके सदाना ने बताया कि पिछले 33 महीनों में प्राकृतिक खेती को किसानों तक पहुँचाना और दस गांवों को प्राकृतिक खेती गांव के रूप में विकसित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। इस पहल में पपरोला की किसान कला देवी कठेओ, हर्न्ड हमीरपुर के ललित कालिया और पंगना के सोमकृष्ण जैसे किसानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन किसानों की मेहनत और समर्पण ने इस परियोजना को सफल बनाया है। 100 गांव प्राकृतिक खेती की योजना हिमाचल प्रदेश सरकार की ‘100 गांव प्राकृतिक खेती’ योजना के तहत हिमरा द्वारा चुने गए दस गांवों में से सात गांव दिसंबर 2024 तक पूरी तरह से प्राकृतिक खेती गांव बन चुके हैं। इन गांवों के सफल मॉडल से प्रेरित होकर आसपास के 200-250 किसानों ने भी प्राकृतिक खेती अपनाना शुरू कर दिया है। यह दर्शाता है कि प्राकृतिक खेती किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन रही है। जैविक खेती से लागत कम और लाभ ज्यादा प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली यह पहल किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी सहायक सिद्ध हो रही है। लाओस सम्मेलन में यह स्पष्ट हुआ कि हिमाचल प्रदेश का यह प्राकृतिक खेती मॉडल अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकता है। यह हिमाचल प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।