मंडी में एम्बुलेंस कर्मचारियों की पूर्ण हड़ताल:सरकार के खिलाफ निकाला रोष मार्च, 28 लोकेशनों पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित, मरीज परेशान

हिमाचल के मंडी में 108 और 102 एम्बुलेंस कर्मचारी यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर पूर्ण हड़ताल शुरू कर दी है। यूनियन के अध्यक्ष सुमित कुमार ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे आत्मदाह करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। इस हड़ताल के कारण जिले की 28 लोकेशनों पर एम्बुलेंस और बाइक सुविधाएं प्रभावित हुई हैं। हड़ताली कर्मचारियों, जिनमें ड्राइवर और ईएमटी शामिल हैं, ने जिला मुख्यालय मंडी में इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया और शहर में रैली निकाली। कर्मचारियों का दावा है कि दो दिवसीय हड़ताल मंडी जिले में शत-प्रतिशत सफल रही है, जिससे लगभग 50 एम्बुलेंस और बाइक सेवाएं अनुपलब्ध हो गई हैं। कंपनी पर लगाया शोषण करने का आरोप यूनियन और सीटू पदाधिकारियों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवा में कुल 1300 कर्मचारी कार्यरत हैं। इन्हें वर्ष 2022 में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत मेडस्वान फाउंडेशन कंपनी द्वारा नियुक्त किया गया था। इससे पहले, ये कर्मचारी 2010 से जीवीके कंपनी के अधीन थे, जिसने उन्हें छंटनी भत्ता और अन्य भत्ते नहीं दिए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन इस मामले में मूक दर्शक बना हुआ है, जबकि वर्तमान नियोक्ता कंपनी द्वारा कर्मचारियों का लंबे समय से शोषण किया जा रहा है। कर्मचारियों को निर्धारित न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है और उनसे 12 घंटे की ड्यूटी करवाई जाती है, जिसका ओवरटाइम कंपनी द्वारा भुगतान नहीं किया जाता। हिमाचल हाईकोर्ट, लेबर कोर्ट, सीजीएम कोर्ट शिमला और श्रम कार्यालय के आदेशों के बावजूद उनका शोषण जारी है। यूनियन के माध्यम से अपनी मांगों को उठाने पर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जाता है। नहीं दिया जा रहा न्यूनतम वेतन कर्मचारियों ने पहले भी दो बार एक-एक दिन की हड़ताल की थी, लेकिन कंपनी ने न्यूनतम वेतन और ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया। इसी कारण इस बार दो दिवसीय हड़ताल की गई है। सीटू जिला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने कहा कि यदि कंपनी सरकारी नियमानुसार वेतन, ओवरटाइम, सभी प्रकार की छुट्टियां, गाड़ी का रखरखाव, बीमा और बीमारी के दौरान पूरा वेतन नहीं देती है, और यूनियन नेताओं को प्रताड़ित करने की नीति नहीं बदलती है, तो यूनियन को अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लेना पड़ेगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और कंपनी की होगी।

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