BJP सांसद बोले-गोल्डन टेंपल पर ब्रिटेन की मदद से हमला:निशिकांत दूबे ने कहा- विदेशी अफसर भारत आया, इंदिरा गांधी ने दी थी मंजूरी

बीजेपी के झारखंड से सांसद निशिकांत दुबे ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। दुबे ने दावा किया कि 1984 में अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेंपल) में हुआ ब्लू स्टार ऑपरेशन भारत ने अकेले नहीं, बल्कि ब्रिटेन की मदद से अंजाम दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने इस ऑपरेशन की योजना छह महीने पहले से बनानी शुरू कर दी थी और ब्रिटेन से तकनीकी व फिजिकल मदद भी मांगी गई थी। दुबे ने एक गोपनीय ब्रिटिश दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा कि फरवरी 1984 में ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने एक पत्र में उल्लेख किया था कि भारत सरकार ने चरमपंथियों को हटाने के लिए सहायता मांगी थी। इस सिलसिले में ब्रिटिश स्पेशल फोर्स SAS (स्पेशल एयर सर्विस) के एक अधिकारी को भारत भेजा गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खुद मंजूरी दी थी। दुबे के इन दावों से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है, जबकि कांग्रेस की ओर से फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। आरोप- ब्रिटिश अफसर अमृतसर में मौजूद थे दुबे ने कहा कि जब जून 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार हुआ, तब ब्रिटिश सेना के अधिकारी अमृतसर में मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय सेना ने यह हमला ब्रिटिश सेना की देखरेख में किया। कांग्रेस ने भिंडरावाले को खुद खड़ा किया और बाद में उसी को खत्म करने के लिए सिखों के सबसे पवित्र स्थान पर हमला कर दिया। कांग्रेस के तीन बड़े ‘धोखे’- निशिकांत दुबे के आरोप दुबे का आरोप है कि “कांग्रेस ने सिख समुदाय को हमेशा एक ‘राजनीतिक मोहरे’ की तरह इस्तेमाल किया।” सोशल मीडिया पोस्ट पर ब्रिटिश दस्तावेज को भी पेश किया निशिकांत दुबे ने जो ब्रिटिश दस्तावेज़ पेश किया है, उसमें यह साफ लिखा है कि भारत ने ऑपरेशन ब्लूस्टार के लिए ब्रिटेन से मदद मांगी थी और एक SAS अधिकारी भारत आया था। हालांकि कांग्रेस की तरफ से अब तक इस पर कोई औपचारिक जवाब नहीं आया है, लेकिन इस मुद्दे पर सियासत तेज हो चुकी है। चंदूमाजरा ने कहा- पहले भी उठाया था मुद्दा पूर्व अकाली सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ये मामला उन्होंने 2014 में सांसद रहते हुए भी उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने हमले से पहले सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं, अन्य देशों से भी संपर्क किया था। इतना ही नहीं, अब भाजपा जो मुद्दा उठा रही है, उस समय कुछ भाजपा नेता भी इसके समर्थन में थे।

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