दो दिन पहले तक खबरें थीं कि बाहुबली सूरजभान सिंह, उनकी पत्नी वीणा सिंह और भाई चंदन सिंह RJD में जा सकते हैं। तीनों सांसद रह चुके हैं और अभी पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी यानी RLJP में हैं। खबर ये भी थी कि खुद तेजस्वी यादव सूरजभान को पार्टी में शामिल करेंगे। अगर ऐसा हो जाता तो सूरजभान एक हफ्ते में तीसरे भूमिहार नेता होते, जिन्होंने RJD जॉइन की है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक और बड़ी खबर ये भी थी कि RLJP का JDU में विलय हो सकता है। पूरी तैयारी भी थी, लेकिन 12 अक्टूबर को हुई मीटिंग में पार्टी के नेता इसके खिलाफ हो गए। पटना के कौटिल्या नगर ऑफिस में हुई बैठक में RLJP और दलित सेना ने जिलाध्यक्ष, कार्यकारिणी सदस्य शामिल हुए थे। पशुपति पारस और सूरजभान सिंह भी आए। उनके सामने नेताओं ने RJD में विलय का विरोध तो किया ही, साथ ही कहा कि पार्टी आगे-पीछे की चिंता न करे और सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़े। आगे क्या करना है, यह फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस पर छोड़ दिया गया। पारस ने कहा कि एक-दो दिन में तय कर लेंगे। RJD चाहती है पशुपति पारस पार्टी का विलय कर लें सोर्स बताते हैं कि पशुपति पारस के सामने पार्ट का विलय करने की शर्त RJD ने रखी थी। इसी पर पेच फंस गया। RJD की दलील है कि RLJP के सिंबल सिलाई मशीन को लोग बहुत ज्यादा नहीं जानते। इससे महागठबंधन को चुनाव में नुकसान हो सकता है। सीटों के बंटवारे पर भी असहमति है। पारस ने शुरू में 12 सीटों की मांग की थी। बाद में इस घटाकर 8 सीट कर दिया। तेजस्वी यादव 2-3 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं। RLJP अब इस पर काम कर रही है कि पार्टी का अस्तित्व भी बच जाए और चुनाव में ताकत भी दिखा दें। RLJP संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और बाहुबली नेता सूरजभान सिंह ने अपने नेताओं से कह चुके हैं कि पूरे बिहार में युद्ध लड़ने की तैयारी करें। NDA जितनी सीट चिराग पासवान को लड़ने के लिए देगा, उन सीटों पर पशुपति पारस की पार्टी लड़ेगी। इससे भी साफ हो गया कि RLJP का RJD में विलय नहीं होगा। तेजस्वी का A टू Z फॉर्मूला, 6.5% भूमिहार और ब्राह्मण वोट पर नजर सूरजभान सिंह को RJD में लाने के पीछे तेजस्वी यादव की ‘A टू Z’ सोच है। इस हफ्ते दो भूमिहार नेता बेगूसराय के बोगो सिंह और खगड़िया के JDU विधायक डॉ. संजीव कुमार RJD में आ चुके हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव भूमिहार कम्युनिटी पर बड़ा दांव खेल रहे हैं। 2020 में RJD ने सिर्फ एक सीट पर भूमिहार उम्मीदवार उतारा था। इस बार 10 सीटों पर भूमिहार कैंडिडेट उतार सकते हैं। बिहार के जातिगत सर्वे के मुताबिक, राज्य में भूमिहार 2.86% और ब्राह्मण 3.65% हैं। ये गंगा-सोन बेल्ट के भोजपुर, रोहतास, भागलपुर, खगड़िया, बेगूसराय, समस्तीपुर और मधुबनी में हार-जीत तय करते हैं। अस्तित्व बचाने के लिए RLJP के पास तीन रास्ते 1. कुछ नेता RJD में जाएं, कुछ पार्टी के लिए काम करें: सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी, पशुपति पारस के भतीजे प्रिंस RJD में जाकर चुनाव लड़ सकते हैं। वीणा देवी मोकामा सीट से चुनाव लड़ती हैं, तो उनका मुकाबला बाहुबली अनंत सिंह या उनके परिवार से हो सकता है। पशुपति कुमार पारस और बाकी नेता पार्टी में बने रहेंगे। पारस 73 साल के हो चुके हैं। सूरजभान सिंह पार्टी का चेहरा नहीं हो सकते, इसलिए दलित युवा चेहरा पार्टी में रखना होगा। पार्टी का कोर वोट बैंक दलित ही हैं। रविदास और पासवान जातियों का दलित वोटों में सबसे बड़ा हिस्सा है। बिहार में 20% दलित वोट चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं। NDA के पास चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे दलित चेहरे हैं, जबकि कांग्रेस ने राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलित वोट बैंक साधने की कोशिश की है। 2. पार्टी का विलय हर हाल में रोका जाए: कोई रास्ता नहीं दिखा तो भी पारस नहीं चाहेंगे कि पार्टी का विलय RJD में किया जाए। पार्टी को कैसे विलय से बचाया जाए इसके लिए कोई अन्य रास्ता वे खोज सकते हैं। यह RJD पर दबाव की राजनीति ही है कि रविवार की बैठक में कोई आर-पार वाला फैसला नहीं लिया गया और वेट एंट वाच की पॉलिसी के साथ आगे बढ़ना तय हुआ। 3. चिराग के खिलाफ कैंडिडेट उतारने की स्ट्रैटजी: RLJP, RJD के साथ मिलकर 2-3 सीटों पर चुनाव लड़ें। बाकी जिन सीटों पर पारस के भतीजे चिराग पासवान के कैंडिडेट चुनाव लड़ें, वहां उम्मीदवार उतार दें। इससे NDA को नुकसान होगा और पारस अपनी ताकत दिखा पाएंगे। NDA में चिराग की पार्टी LJP(R) को 29 सीटें मिली हैं। हालांकि, तेजस्वी यादव इस पर राजी होंगे या नहीं, यह देखना होगा। पार्टी नेता बोले- अकेले चुनाव लड़ेंगे या गठबंधन में, दो दिन में बता देंगे RLJP के मुख्य प्रवक्ता ललन चंद्रवंशी कहते हैं कि पशुपति पारस तय करेंगे कि महागठबंधन के साथ किस तरह से रहेंगे, पार्टी अकेले लड़ेगी या नहीं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन हो या NDA किसी का फाइनल नहीं हुआ है। क्या सूरजभान सिंह RJD में जा रहे हैं? ललन चंद्रवंशी इसका जवाब सवाल से देते हैं। कहते हैं, ‘सूरजभान सिंह कहां RJD में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा है कि हमें रामविलास पासवान जी जहां छोड़ कर गए थे, वहीं हैं।’ हमने यही सवाल RJD के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद से पूछा। उन्होंने जवाब दिया कि जो लोग सूरजभान सिंह के RJD में शामिल होने की बात कर रहे हैं, यह उनसे पूछिए। हम लोगों ने तो ऐसा कुछ नहीं कहा है। महागठबंधन का फॉर्मूला, सबकी सीटें घटेंगी सोर्स बताते हैं कि महागठबंधन के लिए तेजस्वी यादव ने सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार कर लिया है। इसके हिसाब से सभी पार्टियों को 2020 के चुनाव के मुकाबले कम सीटें मिलेंगी। अगर कांग्रेस या मुकेश सहनी में कोई गठबंधन नहीं तोड़ता है, तो RJD 138 सीट पर लड़ेगी। बची सीटें बाकी पार्टियों में बंटेंगी। कांग्रेस को 35-40 सीटें, VIP को 8-10 सीटें और लेफ्ट पार्टियों को 15-18 सीटें मिलने की संभावना है। 4 साल पहले दो हिस्सों में बंटी थी LJP 8 अक्टूबर 2020 को लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान का निधन हुआ था। 2021 में पार्टी टूट गई। 14 जून 2021 को पशुपति पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित किया गया और अगले दिन चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। पार्टी दो हिस्सों में बंट गई। चिराग पासवान के गुट को ‘लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)’ नाम मिला, जबकि पारस गुट को ‘राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी’ नाम मिला। पारस गुट में 6 में से 5 सांसद वीणा देवी, चंदन सिंह, महबूब अली कैसर, प्रिंस राज और खुद पशुपति पारस रहे। पारस को केंद्र में मंत्री पद भी मिला। 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले चिराग पासवान फिर से NDA में आ गए। उनकी पार्टी के सभी 5 उम्मीदवार चुनाव जीतकर सांसद बन गए। इनमें चिराग पासवान, अरुण भारती, शांभवी चौधरी, वीणा देवी और राजेश वर्मा शामिल थे। दूसरी तरफ पशुपति कुमार पारस की पार्टी को लोकसभा चुनाव में एक भी टिकट नहीं मिला। पशुपति कुमार पारस ने NDA छोड़ दिया और लालू प्रसाद के पास पहुंच गए। एक्सपर्ट बोले- चिराग ने धैर्य दिखाया, पारस को धैर्य खोने का खामियाजा सीनियर जर्नलिस्ट ओम प्रकाश अश्क कहते हैं, ‘चिराग ने धैर्य दिखाया। महागठबंधन में पहले से कई पार्टियां हैं। कांग्रेस, RJD, लेफ्ट में तनातनी है। कांग्रेस कैसे सीटें कम करेगी, जिसने अब तक इतनी मेहनत की है। मुकेश सहनी की पार्टी के पास कोई विधायक नहीं है। पारस की पार्टी के पास कोई विधायक नहीं है। बिहार में झामुमो के पास भी विधायक नहीं है, लेकिन सभी को टिकट चाहिए।’ ‘सूरजभान के RJD में जाने की चर्चा खूब रही, लेकिन किसी ने खंडन नहीं किया। RJD ने भूमिहार वोट को अपनी तरफ करने की कोशिश शुरू की है। इसीलिए सूरजभान को RJD में लाने की तैयारी है।’ क्या आप हैं बिहार की राजनीति के एक्सपर्ट? 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